दूसरों के धन पर नजर रखने वाले लोग होते हैं ऐसे
punjabkesari.in Sunday, Sep 27, 2020 - 03:15 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर किस की इच्छा होती है कि उसे अपने जीवन में अपार धन-संपत्ति प्राप्त हो। मगर कुछ लोग इसे पाने में मेहनत करने की बजाए दूसरों के धन पर नज़र टिका लेते हैं। और किसी न किसी तरीके उसे हथियाने का सोचने लगते हैं। कई बार लोग धन को पाने के हदें पार कर देता है। महान विद्वानों ने अपने नीति शास्त्रों में ऐसे लोगों के बारे में बताया है। तो चलिए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य से, वो क्या इस बारे में क्या कहते हैं-
अल्पमपि परद्रव्यं न हर्तव्यम्।
दूसरे का धन किंचित भी नहीं चुराना चाहिए।
पाप छोटा हो या बड़ा, पाप तो पाप ही होता है। चोरी छोटी हो या बड़ी, चोरी ही कहलाती है इसलिए दूसरे के धन की चोरी से सदैव बचना चाहिए।
विनाशकारी है छीना हुआ धन
परद्रव्यापहरणमात्मद्रव्यनाशहेतु:।
दूसरों के धन का अपहरण करने से स्वयं अपने ही धन का नाश हो जाता है। जो व्यक्ति दूसरे के धन को छीन लेता है, वह छीना हुआ धन उस व्यक्ति के अपने धन के विनाश का कारण बन जाता है। अत: किसी के धन पर कब्जा जमाने की अनाधिकार चेष्टा नहीं करनी चाहिए।
इसके अलावा महापुरुषों द्वारा बताए गए कुछ अनमोल वचन
प्रभु की मर्जी के बिना संसार में पत्ता भी नहीं हिलता। सब कुछ समय के अनुसार तथा प्रभु की रजा में ही होता है।
अपने आपको मुसाफिर समझें। सबका भला सोचें-बुरा कभी भी किसी का नहीं सोचेंं। एकांत में भजन करें। दुख में भी सुख ढूंढें।
हमारे जन्म लेते ही ईश्वर हमारी पहली सांस के साथ हमारी अंतिम सांस पर भी हस्ताक्षर कर देते हैं।
परिवार में एक-दूसरे का सहारा सबसे बड़ी ताकत है। सबको साथ लेकर चलेंगे तो परिवार में संगठन हमेशा बना रहेगा।
जन्म देने वाली, जन्म भूमि का हर इंसान कर्जदार है। मां की तपस्या के बराबर कोई तपस्या नहीं। मां ने ही संत महापुरुष पैदा किए। मां ही थी जो हमें टोकती थी, स्वैटर पहन ले ठंड लग जाएगी। यह वही शक्ति है जिसने हमें बोलना और चलना सिखाया। हम आज जो कुछ भी हैं मां की बदौलत हैं।