चाणक्य नीति: जीवन में ऐसी भावना से ग्रसित व्यक्ति का होता है अंत निकट

punjabkesari.in Sunday, Nov 06, 2016 - 04:36 PM (IST)

आचार्य चाणक्य का जन्म करीब 300 ईसा पूर्व में हुआ माना जाता है। महान राजनीतिज्ञ अौर कुटनीतिज्ञ होने के साथ-साथ इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना व चन्द्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। पाटलिपुत्र से संबंध होने के कारण उसे इन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया। आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य जैसे बुद्धिमान, रणनीतिज्ञ, चरित्रवान व राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्ति भारत के इतिहास में ढूंढने से भी बहुत कम मिलते हैं। इनकी नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध होते हैं। जितने कल थे। इन नीतियों को अपने जीवन में अपनाने से बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है। चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति भोग-विलास में लिप्त रहता है उसका अंत निकट रहता है। 

 

इन्द्रियवशवर्ती चतुरंगवानपि विनश्यति। 

 

भावार्थ: राजा चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, यदि वह भोग-विलास में अपना अधिकांश समय व्यतीत करता है तो ऐसा राजा शीघ्र ही नष्ट हो जाता है अथवा पराजित होकर मारा जाता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News