Chanakya Niti: चाणक्य नीति से जानिए वो पांच बातें जिन्हें बदलना मनुष्य के वश में नहीं
punjabkesari.in Sunday, Nov 09, 2025 - 04:31 PM (IST)
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Chanakya Niti: यह आचार्य चाणक्य की नीति का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो जीवन की नश्वरता और नियति के प्रभाव को समझाता है। चाणक्य नीति के अनुसार, मनुष्य के जन्म से पहले ही उसके जीवन से संबंधित पाँच मुख्य बातें तय हो जाती हैं। चाणक्य ने यह कहकर मनुष्य को अनावश्यक चिंता से मुक्त होकर अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा दी है। उनका मत है कि जो चीजें नियत हैं, उन्हें बदला नहीं जा सकता इसलिए जो चीजें हमारे नियंत्रण में हैं, उन पर मेहनत करनी चाहिए।

जन्म से पहले तय होने वाली पांच बातें
आयु
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति की उम्र यानी वह कितने समय तक इस धरती पर रहेगा, यह उसके जन्म से पहले ही तय हो जाता है। यह सिद्धांत कर्म फल पर आधारित है। व्यक्ति का जीवनकाल उसके पूर्व जन्मों के संचित कर्मों के अनुसार निश्चित होता है। इसका तात्पर्य यह है कि मृत्यु का समय निश्चित है और इसे कोई बदल नहीं सकता। इसलिए हमें अपनी उम्र को लेकर डरने या चिंता करने के बजाय, उपलब्ध समय का उपयोग सार्थक कर्म करने में करना चाहिए।
कर्म
व्यक्ति इस जीवन में कौन से कर्म करेगा, उसका जीवन कैसा होगा, यह भी जन्म से पहले ही तय हो जाता है। चाणक्य के अनुसार, यह सिद्धांत भी कर्म सिद्धांत पर आधारित है। मनुष्य का यह जन्म उसके पिछले जन्मों के शेष कर्मों का फल भोगने और नए कर्म करने के लिए मिलता है। हमारे जीवन के सुख-दुख, सफलता-असफलता बहुत हद तक पिछले कर्मों का ही परिणाम होती हैं। भले ही कर्मों का फल पहले से निश्चित हो, चाणक्य पुरुषार्थ के महत्व पर ज़ोर देते हैं। वे कहते हैं कि हमें वर्तमान में शुभ और अच्छे कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि आज के कर्म ही हमारे भविष्य को निर्धारित करेंगे। हमें भाग्यवादी बनकर निष्क्रिय नहीं होना चाहिए।

आर्थिक स्थिति
किसी व्यक्ति के जीवन में कितना धन होगा और उसकी आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी, यह भी जन्म से पूर्व ही निर्धारित होता है। व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पुण्य और दान के कर्मों के आधार पर उसकी आर्थिक स्थिति तय होती है।
ज्ञान
व्यक्ति को इस जीवन में कितनी शिक्षा और ज्ञान प्राप्त होगा, उसकी बुद्धि और सीखने की क्षमता कैसी होगी, यह भी पहले से ही तय होती है। व्यक्ति की बुद्धि, समझ और ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता उसके पूर्व जन्मों के संस्कारों और अभ्यास पर निर्भर करती है।
मृत्यु
जिस प्रकार जन्म का समय निश्चित है, उसी प्रकार व्यक्ति की मृत्यु कब और किस प्रकार होगी, यह भी जन्म से पहले ही तय हो जाता है। यह आयु के निर्धारण से जुड़ा हुआ है। मृत्यु जीवन चक्र का एक अटल सत्य है, जिसका समय प्रकृति या ईश्वर द्वारा निश्चित किया जाता है। इस ज्ञान का उपयोग भय को त्यागने के लिए करना चाहिए। मृत्यु अटल है, इसलिए हमें निर्भय होकर जीना चाहिए और अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भय में जीवन व्यतीत करने के बजाय, हमें जीवन को उत्कृष्ट बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

