Chanakya Niti: चाणक्य नीति से जानिए, कौन से कामों से होती है विनाश की शुरुआत

punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Chanakya Niti: चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के महान राज्यकवि, अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे। उनकी नीतियां और उपदेश आज भी जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन करती हैं। चाणक्य नीति का मूल उद्देश्य व्यक्ति को सत्कर्म, विवेक और सही निर्णय लेने की कला सिखाना है। उनकी नीतियों में ऐसे कई कामों का उल्लेख है, जिनसे बचना चाहिए क्योंकि ये हमेशा बुरा नतीजा देते हैं। यदि हम इन बातों को समझ लें और अपने जीवन से इन कामों को दूर कर लें, तो हमारा जीवन सफल, सुखी और समृद्ध बन सकता है। आइए जानते हैं चाणक्य नीति के अनुसार कौन-कौन से ऐसे काम हैं जिनका परिणाम हमेशा खराब होता है और जिनसे हमें तुरंत दूरी बना लेनी चाहिए।

अहंकार
चाणक्य कहते हैं कि अहंकार सबसे बड़ा शत्रु है। जब व्यक्ति अपने आप को सब कुछ समझने लगता है, तब वह दूसरों की बात सुनना बंद कर देता है। अहंकार इंसान को उसके मित्रों, परिवार और समाज से दूर कर देता है। यह न केवल रिश्तों को खराब करता है बल्कि जीवन में अनेक परेशानियां भी लाता है। इसलिए अहंकार को त्याग देना चाहिए और विनम्रता को अपनाना चाहिए।

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झूठ बोलना
झूठ बोलना एक ऐसी आदत है जो इंसान की विश्वसनीयता को खत्म कर देती है। चाणक्य ने स्पष्ट कहा है कि झूठ बोलने वाले का अंत हमेशा खराब होता है। झूठ से बने रिश्ते टिकाऊ नहीं होते और एक बार जब सच सामने आता है तो व्यक्ति की प्रतिष्ठा ध्वस्त हो जाती है। सत्य बोलना और सच्चाई के मार्ग पर चलना ही सुख-शांति और सम्मान दिलाता है।

अधीरता और जल्दबाजी
चाणक्य के अनुसार अधीरता से लिए गए निर्णय हमेशा गलत होते हैं। जल्दबाजी में किए गए कामों का परिणाम अक्सर खराब होता है क्योंकि उनमें सोच-विचार की कमी होती है। धैर्य रखना और सोच-समझकर कदम उठाना ही बुद्धिमत्ता की निशानी है। अधीरता से बचें और परिस्थिति के अनुसार सही समय का इंतजार करें।

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बुरी संगति
चाणक्य नीति में यह स्पष्ट कहा गया है कि बुरी संगति से बचना चाहिए। अच्छे या बुरे लोगों का प्रभाव हमारे विचारों और कर्मों पर पड़ता है। यदि हम बुरी संगति में रहेंगे तो गलत रास्तों पर चलने लगेंगे, जो अंततः विनाश की ओर ले जाएगा। इसलिए हमेशा अच्छी संगति में रहना और सही लोगों का साथ चुनना चाहिए।

अज्ञानता
चाणक्य ने ज्ञान को सबसे बड़ा धन माना है। जो व्यक्ति अज्ञानता में रहता है और सीखने को तैयार नहीं होता, उसका विकास नहीं हो सकता। अज्ञानता से गलत निर्णय होते हैं और वह असफलता की ओर बढ़ता है। इसलिए ज्ञानार्जन और सीखने की प्रक्रिया कभी बंद न करें।
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Content Editor

Prachi Sharma

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