जानें, शक्ति के छठे रूप की कहानी

punjabkesari.in Thursday, Apr 11, 2019 - 08:14 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
आज चैत्र नवरात्रि का छठां दिन है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन नवदुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा का विधान है। कहते हैं कि देवी की छठी विभूति मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। पुराणों में बताया गया है कि देवी की पूजा से गृहस्थों और विवाह योग्य लोगों के लिए बहुत शुभफलदायी है। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार कात्यायन ऋषि के तप से प्रसन्न होकर मां आदि शाक्ति ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुई। बता दें कि मां कात्यायनी का वाहन सिंह है और इनकी चार भुजाएं हैं। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही इन्हें माता कात्यायनी कहलाती हैं। आइए जानते हैं कि ग्रंथों में वर्णित कथा के बारे में-
PunjabKesari,  Chaitra Navratri, Chaitra Navratri 2019, Navdurga, Devi Durga, Devi Katayani Pujan
मंत्र-
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। इनका कात्यायनी नाम पड़ने की कथा इस प्रकार है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। कुछ काल पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा,विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया।

महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि कात्यायन के वहां पुत्री रूप में उत्पन्न भी हुई थीं। आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी- तक तीन दिन-इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था। 
PunjabKesari,  Chaitra Navratri, Chaitra Navratri 2019, Navdurga, Devi Durga, Devi Katayani Pujan
इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं। माता जी का दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है तथा नीचे वाला वर मुद्रा में है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। इनका वाहन सिंह है।

दुर्गा पूजा के छठे दिन इनके स्वरूप की उपासना की जाती है। उस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्त को सहज भाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।

मां कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रह कर भी आलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। 
 

जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए मां की उपासना से  अधिक सुगम और सरल मार्ग दूसरा नहीं है। इनका उपासक निरंतर इनके सान्निध्य में रह कर परम पद का अधिकारी बन जाता है। अत: हमें सर्वतोभावेन मां के शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए।

उपासना मंत्र-
।। ॐ ह्रीं क्लीं कात्यायने नमः ।।
PunjabKesari,  Chaitra Navratri, Chaitra Navratri 2019, Navdurga, Devi Durga, Devi Katayani Pujan
पूजा-
इनकी पूजा में सर्वप्रथम फूलों से मां को प्रणाम कर इनके उपासना मंत्र का ध्यान ज़रूर करें। इसके बाद इस दिन दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें। फिर पुष्प और जायफल देवी को अर्पित करें। इसके अलावा देवी मां के साथ भगवान शिव की भी पूजा भी कर सकते हैं।
ऐसे करें मां कात्यायनी का पूजन, भाग्य में बदलेगा दुर्भाग्य (VIDEO)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News