Budh Purnima: महात्मा बुद्ध के जीवन के साथ जुड़े हैं विचित्र संयोग

punjabkesari.in Thursday, May 04, 2023 - 06:56 AM (IST)

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Budh Purnima 2023: बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए वैशाख पूर्णिमा का दिन सबसे पवित्र त्यौहार बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। भारत के अलावा थाईलैंड, चीन, लंका, बर्मा और कोरिया सहित अनेक देशों में यह दिन विशेष महत्व रखता है। लगभग 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी वन में बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण वह ‘गौतम’ भी कहलाए।

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PunjabKesari Buddha Jayanti Celebrate On Vaishakh Purnima
शाक्य राजा शुद्धोधन उनके पिता और कोली वंश की माया देवी उनकी मां थीं। उनके जन्म के एक सप्ताह बाद जब उनकी मां की मृत्यु हो गई तो उनकी मौसी महाप्रजापति (गौतमी) ने उनका पालन-पोषण किया था। इनका नाम सिद्धार्थ रखा गया, जिसका अर्थ है ‘वह मानव जो सिद्धि प्राप्ति के लिए जन्मा हो’।

महात्मा बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार माने जाते हैं। इनके जीवन के साथ एक विचित्र संयोग जुड़ा है। उनके जीवन से जुड़ी विशेष घटनाएं जैसे कि उनका जन्म, उन्हें ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण सब वैशाख महीने की प्रथम पूर्णिमा के दिन सम्पन्न हुए।

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बचपन से ही करूण हृदय वाले सिद्धार्थ किसी का दुख नहीं देख सकते थे। 21 वर्ष की उम्र में वह अपने राज्य कपिलवस्तु की गलियों में एक वृद्ध विकलांग व्यक्ति, एक रोगी, एक साधु और एक पार्थिव शरीर को देखकर समझ गए थे कि जन्म लेने वाला कई तरह की दशाओं से गुजर कर अंत में मृत्यु को अवश्य प्राप्त होता है।

इन सबसे व्यथित होकर उन्होंने अपने वैभव पूर्ण जीवन और परिवार को त्याग दिया और जीवन से जुड़े सवालों की खोज में निकल पड़े। छ: वर्षों तक निरंतर कष्ट सह कर भी जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई तो वह ‘बोध गया’ आ गए जहां 35 वर्ष की आयु में उरु वेला में निरंजना नदी के तट पर स्थित पीपल के पेड़ के नीचे इन्हें वैशाख पूर्णिमा के दिन ज्ञान का बोध हुआ। धीरे-धीरे वह महात्मा गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उनके द्वारा पांच भिक्षुओं को दिया गया पहला धर्म उपदेश ‘धर्मचक्र प्रवत्र्तन’ के नाम से विख्यात है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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