Bonsai tree: तन और मन को शांत रखता है ये बौना पौधा
punjabkesari.in Saturday, Nov 26, 2022 - 09:09 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Bonsai tree: बोनसाई पेड़ों को लगाने की कला हजारों साल पुरानी है। भले ही, इस कला का संबंध जापान से है, परन्तु इसकी खेती का आरंभ चीन में हुआ था, जहां इसको जैन-बौद्ध धर्म से जोड़ दिया गया। आजकल, बोनसाई पेड़ को पारम्परिक उपयोग के अलावा सजाने और मनोरंजन उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस पर सृजनात्मक कलाकारी करने का अवसर भी मिलता है। सुन्दर पत्तियों वाले कुछ पेडों की पत्तियां तथा टहनियां बोनसाई पौधों में बहुत ही सुन्दर आकृति लिए होती हैं।
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How to take care of Bonsai Tree: इस प्रकार के पौधों की सुन्दरता पत्तियों की बनावट, रंग तथा रूप पर निर्भर करती है। आज बेम्बूसा, फाइकस रिलिजीयोसा, फाइकस बेनजेमीना जूनीपर, अरेलिया, शिफरेला, इत्यादि प्रमुख पौधे हैं। बोनसाई पेड़ की विशिष्टता है कि इन्हें विशेष गमलों में लगाया जाता है जिससे उनकी लम्बाई और आकार का बढ़ना कम हो जाता है।
गमला लेने के समय यह ध्यान रखें कि यह इतना बड़ा हो कि पेड़ की जड़ को ढंकने के लिए पर्याप्त मात्रा में मिट्टी डाली जा सके। पानी डालने के पश्चात, पेड़ की जड़ मिट्टी से नमी सोख लेती है। इसके विपरीत, गमले में कम मात्रा में मिट्टी होने से पेड़ की जड़ पर्याप्त मात्रा में नमी नहीं ले पाती है।
Bonsai Tree Vastu Tips वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बोनसाई का पेड़
वास्तु शास्त्र के अनुसार बहुत सारे ऐसे पेड़-पौधे हैं, जिन्हें घर में लगाने से शुभता आती है। उन्हीं में से एक पेड़ है बोनसाई का। ये देखने में जितना खूबसूरत होता है, घर की आबोहवा को भी ताजा और स्वच्छ रखता है। वास्तु शास्त्र कहता है यदि किसी व्यक्ति को बहुत अधिक क्रोध आता है या बात-बात पर झल्लाहट होती है तो उन्हें बोनसाई का पेड़ अपने घर में लगाना चाहिए। इस पेड़ के प्रभाव से तन और मन शांत रहता है। बोनसाई का पौधा बहुत सारी बीमारियों से बचाकर रखता है। घर के भीतर नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
How to take care of Bonsai Tree छोटे पेड़ों पर फल
फल वाले वृक्षों का भी बोनसाई में काफी महत्व है। छोटे पौधों पर फल बहुत आकर्षक एवं सुन्दर लगते हैं इनके कारण पौधा सभी का ध्यान अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। फल वाले पौधों में सीताफल, अमरूद, नारंगी, आंवला, करोंदा, आम, अनार, जामुन, इमली, अंजीर तथा शहतूत इत्यादि को बोनसाई बनाने के लिए काम में लाया जा सकता है। बरगद, पीपल, पिलखनी नींबू की प्रजाति के पौधे जिनमें मौसंबी, चकोतरा जैसे बड़े पेड़, जो उगने के बाद कई मीटर का एरिया कवर करते हैं, को भी लगा सकते हैं।
बोनसाई की सफलता सही प्रकार की मिट्टी के चुनाव पर ही निर्भर करती है। मिट्टी में नमी सोखने और वायुसंचार की क्षमता होनी चाहिए। बलुअर कणदार मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है। भारतीय जलवायु में इस मिट्टी के अलावा लकड़ी के कोयले का चूरा तथा पत्तियों की सड़ी हुई खाद मिलाना, मिट्टी में आर्द्रता बनाए रखने में सहायक होती है। इसके साथ ही समय-समय पर बोनमिल का उपयोग भी बोनसाई पौधों की वृद्धि के लिए वरदान माना जाता है। एक पौधे को बोनसाई रूप में तैयार करने में कम से कम दो साल का समय चाहिए।
How to grow a Bonsai Tree सालों की मेहनत का फल
बोनसाई दरअसल पौधा उगाने की एक असामान्य विधि होती है जिसमें बीज से बोनसाई का विकास नहीं होता बल्कि एक परिपक्व पौधे या उसके किसी हिस्से से इसे विकसित किया जाता है। यह ऐसा वृक्ष होता है जिसे एक छोटे पात्र में उगाकर परिपक्व बना दिया जाता है।
यह छोटे पात्रों में सजावटी वृक्षों या झाड़ियों को उगाने की एक कला है, जिसमें उनकी वृद्धि को बाधित कर दिया जाता है। पौधा उगाने की इस विशेष पद्धति में ट्रे जैसे कम ऊंचाई के गमले या किसी अन्य पात्र में पौधे को उगाया जाता है और इसकी समय-समय पर कटाई-छंटाई कर के उसकी वृद्धि को रोका जाता है। सालों की मेहनत के बाद जाकर कोई पौधा बोनासाई वृक्ष बनता है।
बोनसाई का उद्देश्य खाद या औषधीय उत्पादन नहीं होता। ये आनुवंशिक रूप से बौने पौधे भी नहीं होते (जो एक भ्रांति है)। किसी भी पादप जाति के पौधे का बोनसाई विकसित किया जा सकता है। बोनसाई उगाने की तकनीक में टहनियों की छंटाई, जड़ों को छोटा करना, पात्र बदलना और पत्तियों को छांटने जैसी गतिविधियां एक निश्चित अंतराल पर करनी होती हैं।
बोनसाई पौधे उगाना कम खर्चीला और अधिक रोचक काम होता है। अपनी पसंद के पौधे को चुन कर उसे बोनसाई वृक्ष में विकसित करना अपने-आप में एक अनोखा अनुभव होता है।