किसी की Body Shaming कर मजे लुटने वाले इस पौराणिक कथा को जरुर पढ़ें

punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Body Shaming: हम में से ज्यादातर लोग कभी न कभी किसी की लंबाई, उम्र, सुंदरता शारीरिक संरचना, मोटे-दुबले या काले-गोरे व्यक्ति को देखकर हंसते हैं, गलत कमेंट कर उसकी बॉडी शेमिंग कर मजाक उड़ाते हैं कि वह कैसा भद्दा दिखता है। आपका पल भर का मजाक किसी की आत्मा तक को झकझोर कर रख देता है। जाने या अनजाने में आप भी ऐसी गलती करते हैं तो याद रखें, हम ईश्वर, अल्लाह या भगवान का मजाक उड़ाते हैं न कि उस व्यक्ति का। इंसान के व्यक्तित्व का निर्माण उसका रंग, शरीर या कपड़े नहीं करते बल्कि व्यक्तित्व का निर्माण मनुष्य के विचार एवं उसका आचरण करते हैं।

Story of Ashtavakra and Janaka Maharaj
Story of Ashtavakra and Janaka Maharaj: मिथिला नरेश जनक की मानवीयता एवं सहृदयता की चर्चाएं दूर-दूर तक होती थी। एक बार वह अपने दरबार में विद्वानों और अपने मंत्रियों के साथ मंत्रणा कर रहे थे, तभी वहां ऋषि अष्टावक्र पहुंच गए। उनका चेहरा तो कुरूप था ही शरीर भी कई जगह से टेढ़ा-मेढ़ा था इसलिए वह अच्छे नहीं दिखते थे। एक दिन जब ऋषि अष्टावक्र राजा जनक की सभा में पहुंचे तो उन्हें देखते ही सभा के सभी सदस्य हंस पड़े। ऋषि अष्टावक्र सभा के सदस्यों को हंसता देखकर वापस लौटने लगे।

Story of Ashtavakra and Janaka Maharaj

यह देखकर राजा जनक ने ऋषि अष्टावक्र से पूछा, ‘‘भगवन! वापस क्यों जा रहे हैं?’’

ऋषि अष्टावक्र ने उत्तर दिया, ‘‘मैं मूर्खों की सभा में नहीं बैठता।’’

Story of Ashtavakra and Janaka Maharaj
ऋषि  अष्टावक्र की बात सुनकर सभा के सदस्य नाराज हो गए और उनमें से एक सदस्य ने क्रोध में पूछ ही लिया, ‘‘हम मूर्ख क्यों हुए? आपका शरीर ही ऐसा है तो हम क्या करें?’’

तभी ऋषि अष्टावक्र ने उत्तर दिया,  ‘‘तुम लोगों को यह नहीं मालूम कि तुम मुझ पर नहीं, सर्वशक्तिमान ईश्वर पर हंस रहे हो। मनुष्य का शरीर तो हांडी की तरह है जिसे ईश्वर रूपी कुम्हार ने बनाया है। हांडी की हंसी उड़ाना क्या कुम्हार की हंसी उड़ाना नहीं हुआ?’’

अष्टावक्र का तर्क सुनकर सभी सभा सदस्य लज्जित हो गए और उन्होंने ऋषि अष्टावक्र से क्षमा मांगी।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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