Bhuvaneshwari Jayanti 2021: जानिए, देवी भुवनेश्वरी से जुड़ी प्रचलित कथा

punjabkesari.in Friday, Sep 17, 2021 - 03:01 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि आज भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भुवनेश्वरी जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन मां भुवनेश्वरी की पूजा अर्चना की जाती है, जिन्हें भगवान शंकर की सखी कहा जाता है। इस कड़ी में पहले हम ने आपको बताया इनसे स्वरूप तथा इनके मंत्र के बारे में बताया। आइए अब जानते हैं माता भुवनेश्वरी से जुड़ी धार्मिक कथा। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय समय में मधु कैटभ नाम के दो दैत्य हुए थे, जिन्होंने पूरी पृथ्वी पर आंतक मचा दिया था। जिसके बाद समस्त देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए, परंतु तब विष्णु जी मग्न निद्रन में लीन थे। तब सब देवता ने मिलकर भगवान विष्णु की स्तुति की और उनसे प्रार्थना की कि वह निद्रा को त्याग कर मधु कैटभ को मारकर उनकी रक्षा करें। जिसके बाद श्री हरि ने अपनी निद्रा त्याग दी और लगभग 5000 वर्षों तक  उन्होंने मधु कैटभ से युद्ध किया परंतु लगातार अकेले युद्ध करने के कारण भगवान विष्णु थक गए तब उन्होंने योग माया आद्याशक्ति को सहायता के लिए बुलाया, तब देवी ने अपनी योग माया से मधु कैटभ को मोहित कर दिया और दोनों भाई भगवान विष्णु से कहने लगे कि हे प्रभु हमारा वध ऐसे स्थान पर करें जहां न तो जल और न स्थल हो।

इतना सुनते ही भगवान विष्णु ने मधु कैटभ को अपनी जांघ पर रखकर सुदर्शन चक्र से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस प्रकार मधु कैटभ का वध हुआ। जिसके उपरांत भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश ने देवी अद्याशक्ति योगनिंद्रा महामाया की स्तुति की, तब अद्याशक्ति ने प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी को सृजन, विष्णु जी को पालनकर्ता और भगवान शंकर को संहार का देव चुना। परंतु तब ब्रह्माजी ने देवी आदिशक्ति से प्रश्न किया कि अभी तो चारों तरफ जल ही जल है पंचतत्व ,गुण और इंद्रियां कुछ भी नहीं है, तीनों देव शक्तिहीन है, तब देवी ने मुस्कुराते उस स्थान पर एक सुंदर विमान प्रस्तुत किया और तीनों देवताओं को विमान पर बैठाया और विमान आकाश में उड़ने लगा। विमान ऐसे स्थान पर पहुंचा जहां जल नहीं था, वह विमान सागर तट पर जा पहुंचा जहां पर अत्यंत सुंदर दृश्य था, वह स्थान अनेक प्रकार की पुष्प वाटिकाओं से सुसज्जित था और तीनों देवताओं ने देखा कि एक पलंग पर दिव्यांगना बैठी थी, इस देवी ने रक्तपुष्पों की माला और रक्ताम्बर धारण कर रखा था, वर पाश अंकुश और अभय मुद्रा धारण किए हुए थे। यह सब देखने के बाद भगवान विष्णु ने कहा कि यह साक्षात देवी जगदंबा महामाया है तीनों देवों ने मां भुवनेश्वरी की स्तुति करी और उनके चरणों के निकट गए, तब उन्होंने देखा और कहा कि देवी के चरण कमल के नख में संपूर्ण जगत व्याप्त है और यही देवी संपूर्ण ब्रह्मांड की जननी है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Related News