भीष्म पंचक, अन्य पंचक तिथियों से क्यों इसे माना जाता है शुभ?

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2019 - 10:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ज्योतिष शास्त्र में पंचक को शुभ नहीं माना जाता है। बताया जाता है अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों के योग में पंचक के पांच दिन शुभ कार्य वर्जित हैं। परंतु हिंदू धर्म में एक ऐसी भी पंचक है जिसे बाकि की पंचक तिथियों के तुलना में शुभ माना जाता है। जी हां, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को लगने वाली भीष्म पंचक में सभी कार्य शुभ माने जाते हैं जिसका अर्थ हुआ कि ये पंचक तिथि शुभ हुई। बता दें हिंदू धर्म के समस्त पुराणों तथा ग्रंथों में कार्तिक माह में आने वाली 'भीष्म पंचक' व्रत का भी अधिक महत्व बताया है। शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार ये व्रत कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है तथा पूर्णिमा तक चलता है। बता दें भीष्म पंचक को 'पंच भीखू' के नाम से भी जाना जाता है। चूंकि कार्तिक में पावन नदियों आदि में स्नान का बहुत महत्त्व दिया गया है। अत: कार्तिक स्नान करने वाले सभी लोग इस व्रत को करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भीष्म पितामह ने इस व्रत को किया था, जिस कारण यह व्रत 'भीष्म पंचक' नाम से प्रसिद्ध हुआ।
PunjabKesari, Dharam, Bhishma panchak, भीष्म पंचक, पंचक, भीष्म पंचक 2019, पितामाह भीष्म, पितामाह भीष्म मंत्र, Bhishma Mantra, Mantra Bhajan Arti, Vedic Mantra In Hindi, Mantra Ucharan In Hindi, Slokas and Mantras, vedic Slokas, Bhagwan ki Aarti, आरती भजन इन हिंदी
आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा व अन्य खास बातें-
महाभारत ग्रंथ के अनुसार युद्ध में जब पांडवों की जीत हो गई, तब श्रीकृष्ण पांडवों को भीष्म पितामह के पास ले गए और उनसे अनुरोध किया कि वह पांडवों को ज्ञान प्रदान करें। शर सैय्या पर लेटे हुए सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतिक्षा कर रहे भीष्म ने भगवान कृष्ण के अनुरोध पर उनके सहित पांडवों को राज धर्म, वर्ण धर्म एवं मोक्ष धर्म का ज्ञान दिया। बताया जाता है भीष्म द्वारा ज्ञान देने का क्रम एकादशी से लेकर पूर्णिमा तिथि यानि पांच दिनों तक चलता रहा। भीष्म ने जब पूरा ज्ञान दे दिया, तब श्रीकृष्ण ने कहा कि "आपने जो पांच दिनों में ज्ञान दिया है, यह पांच दिन आज से अति मंगलकारी हो गए हैं। इन पांच दिनों को भविष्य में 'भीष्म पंचक' के नाम से जाना जाएगा।

यहां जानें किसे करना चाहिए यह व्रत-
उन्होंने बताया कि निःसंतान व्यक्ति पत्नी सहित इस प्रकार का व्रत कर सकता है। मान्यता इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्ति होती हैl इसके अलावा जो समाज में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं तथा वैकुण्ठ पाना चाहते हैं या इस लोक में सुख चाहते हैं उन्हें भी इस व्रत को करना चाहिए।

इसके अलावा जो जातक निम्न लिखे मंत्र से पितामाह भीष्म को अर्घ्यदान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।  

वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च।
अपुत्राय ददाम्येतदुद्कं भीष्म्वर्मणे ।।
वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च।
अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ।।

PunjabKesari, Dharam, Bhishma panchak, भीष्म पंचक, पंचक, भीष्म पंचक 2019, पितामाह भीष्म, पितामाह भीष्म मंत्र, Bhishma Mantra, Mantra Bhajan Arti, Vedic Mantra In Hindi, Mantra Ucharan In Hindi, Slokas and Mantras, vedic Slokas, Bhagwan ki Aarti, आरती भजन इन हिंदी
अर्थात- जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित भीश्म्वार्मा को मैं यह जल देता हू। वसुओं के अवतार, शांतनु के पुत्र आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूं।

इस व्रत को करने कि विधि
इस व्रत का प्रथम दिन देवउठनी एकादशी को होता है। इस दिन भगवान नारायण अपने चार माह की योग निद्रा से जागते हैं। मान्याताओं के अनुसार श्री हरि को नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करके उठाना चाहिए।

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु ।।

अर्थात- हे गोविन्द उठिए, उठए, हे गरुडध्वज, उठिए, हे कमलाकांत। निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिए।

पांच दिनों में त्याग दें ये चीज़ें-
इन पांच दिनों में अन्न का त्याग करें। इसके विपरीत कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है ) का सेवन करें।

इसके साथ ही इन दिनों में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व् गोबर-रस का मिश्रण) का सेवन लाभदायी है। पानी में थोड़ा-सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग-दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है। इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
PunjabKesari, Dharam, Bhishma panchak, भीष्म पंचक, पंचक, भीष्म पंचक 2019, पितामाह भीष्म, पितामाह भीष्म मंत्र, Bhishma Mantra, Mantra Bhajan Arti, Vedic Mantra In Hindi, Mantra Ucharan In Hindi, Slokas and Mantras, vedic Slokas, Bhagwan ki Aarti, आरती भजन इन हिंदी
पितामाह भीष्म को अर्घ्य-तर्पण
इन पांच दिनों में निम्नः मंत्र से भीष्म जी के लिए तर्पण करना चाहिए-
सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने।
भीष्मायैतद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ।।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News