Bhishma Panchak: भीष्म पंचक आने को कुछ दिन हैं बाकी, कर लें तैयारी
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 07:01 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Bhishma Panchak 2025: हिंदू धर्मग्रंथों में भीष्म पंचक को अत्यंत पुण्यदायी व्रत कहा गया है। यह व्रत देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक पांच दिनों तक चलता है। इन पांच पवित्र दिनों को भीष्म पंचक इसलिए कहा जाता है क्योंकि भीष्म पितामह ने महाभारत के युद्ध के बाद अपने अंतिम समय में इन दिनों व्रत रखा था और भगवान विष्णु की उपासना की थी। शास्त्रों में लिखा है कि जो व्यक्ति भीष्म पंचक का व्रत पूरे नियमों के साथ करता है, उसे चातुर्मास व्रत के समान फल प्राप्त होता है। यह काल आत्मसंयम, पूजा, दान और मोक्ष साधना का प्रतीक माना गया है।

Bhishma Panchak 2025 Date भीष्म पंचक 2025 तिथि
इस वर्ष भीष्म पंचक 2025 की शुरुआत 1 नवंबर (शनिवार) से होगी और इसका समापन 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को कार्तिक पूर्णिमा के दिन होगा।
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि आरंभ: 1 नवंबर 2025, सुबह 9:11 मिनट
तिथि समाप्ति: 2 नवंबर 2025, सुबह 7:31 मिनट
भीष्म पंचक व्रत अवधि: 1 नवंबर से 5 नवंबर 2025 तक
इन पांच दिनों में भगवान विष्णु, तुलसी माता और गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

Religious significance of Bhishma Panchak भीष्म पंचक का धार्मिक महत्व
भीष्म पंचक को पितरों की शांति, विष्णु उपासना और मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ काल माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे, उन्होंने इन पांच दिनों तक उपवास और तप किया था। इस कारण यह काल आत्मशुद्धि और तपस्या का प्रतीक बन गया। जो व्यक्ति इस अवधि में दान, जप, स्नान और व्रत करता है, उसे अनेक जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
Bhishma Panchak Puja Vidhi भीष्म पंचक पूजा विधि और नियम
प्रातःकाल स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल पर भगवान विष्णु और तुलसी माता की मूर्ति स्थापित करें।
दीपक जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
तुलसी को जल अर्पित करें और प्रतिदिन दीपक जलाएं।
फल, दूध, मूंग दाल, चावल या सादा भोजन का सेवन करें।
व्रत रखने वाले केवल फलाहार या एक समय का भोजन करें।
पांचों दिनों में दान, जप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
Items suitable for donation during Bhishma Panchak भीष्म पंचक पर दान करने योग्य वस्तुएं: वस्त्र, अन्न, जल, तिल, दक्षिणा और तुलसी पौधा।

What not to do during Bhishma Panchak भीष्म पंचक में क्या न करें
मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें।
झूठ बोलना, अपशब्द कहना या क्रोध करना वर्जित है।
दूसरों का अपमान या छल-कपट न करें।
इस अवधि में तुलसी को बिना स्नान किए स्पर्श न करें।
देर रात भोजन न करें, दिन में एक बार सात्विक भोजन शुभ होता है।
इस पवित्र काल में मन, वाणी और कर्म की शुद्धि बनाए रखना ही सच्चा तप है।
The results and benefits of Bhishma Panchak भीष्म पंचक का फल और लाभ
भीष्म पंचक का पालन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य आता है। चातुर्मास व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त होता है। व्यक्ति के जीवन से संकट और बाधाएं दूर होती हैं। भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्ति होती है।
भीष्म पंचक 2025 केवल एक व्रत नहीं, बल्कि यह आत्मसंयम, भक्ति और कृतज्ञता का प्रतीक है। इस अवधि में भगवान विष्णु की पूजा, तुलसी सेवा और गौदान करने से जीवन में शुभता, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

