Bhishma Niti: भीष्म पितामह की नीतियां, जो बना सकती हैं आपको हर परिस्थिति में विजयी
punjabkesari.in Saturday, Oct 04, 2025 - 07:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Bhishma Niti: महाभारत के महायोद्धा और परम ज्ञानी भीष्म पितामह ने अपने जीवन में कई महान निर्णय लिए, कई युद्ध लड़े और धर्म के सूक्ष्म रहस्यों को समझा। उनकी नीतियां सिर्फ युद्ध के मैदान तक सीमित नहीं थीं, बल्कि एक सफल, सम्मानित और धर्मपरायण जीवन जीने के सूत्र हैं। ये नीतियां आपको जीवन के हर कदम पर न सिर्फ सफलता दिलाएंगी बल्कि आपका सिर भी ऊंचा रखेंगी।
प्रतिज्ञा और वचन का पालन
भीष्म का दूसरा नाम ही सत्यप्रतिज्ञ है। उनकी सबसे बड़ी नीति थी अपनी प्रतिज्ञाओं का हर हाल में पालन करना। उन्होंने अपने पिता के सुख के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य की भीष्म प्रतिज्ञा ली और उसे निभाया, भले ही इसके कारण उन्हें जीवनभर कष्ट सहने पड़े।
सफलता का सूत्र: जीवन में सफल होने के लिए अपनी कथनी और करनी में अंतर न रखें। अपने व्यापार, नौकरी या व्यक्तिगत जीवन में जो वादा करें, उसे पत्थर की लकीर मानकर पूरा करें। जो व्यक्ति अपने शब्दों का पक्का होता है, उसे समाज में असीम विश्वास और सम्मान मिलता है।
अहंकार का त्याग और ज्ञान की भूख
भीष्म पितामह शस्त्र और शास्त्र दोनों के प्रकांड पंडित थे लेकिन उन्होंने कभी अपने ज्ञान का अहंकार नहीं किया। उन्होंने परशुराम भगवान जैसे गुरुओं से ज्ञान प्राप्त किया और आजीवन सीखते रहे। युद्ध के मैदान में भी उन्होंने युधिष्ठिर को ज्ञान देने में संकोच नहीं किया।
सफलता का सूत्र: ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती। सफलता के शिखर पर पहुंचकर भी हमेशा एक विद्यार्थी बने रहें। अपने सहकर्मी, जूनियर या किसी भी स्रोत से सीखने के लिए तैयार रहें। अहंकार सफलता का सबसे बड़ा शत्रु है, यह आपकी सीखने की क्षमता को नष्ट कर देता है।
धर्म और कर्तव्य का पालन
भीष्म जानते थे कि कौरवों का पक्ष अधर्म पर आधारित था लेकिन उन्होंने हस्तिनापुर के सिंहासन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली थी। इस कारण उन्होंने अंत तक अपने राजधर्म का पालन किया। हालांकि यह एक कठिन स्थिति थी, लेकिन उनका जीवन हमें सिखाता है कि अपने मूल कर्तव्य से कभी विमुख न हों।
सफलता का सूत्र: कार्यक्षेत्र में आपका पहला कर्तव्य आपकी जॉब की जिम्मेदारी और आपके संगठन के प्रति है। कई बार व्यक्तिगत भावनाएं आड़े आती हैं, लेकिन आपका पहला ध्यान आपके कर्तव्य पर होना चाहिए। धर्म (सही कार्य) का पालन आपको अंदरूनी शांति और आत्मसम्मान देता है, जो सच्ची सफलता के लिए आवश्यक है।
परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेना
भीष्म की नीति सिखाती है कि जीवन में कई बार हमें उन लोगों का भी साथ देना पड़ सकता है, जिन्हें हम पसंद नहीं करते। उन्होंने परिस्थिति के अधीन होकर कौरवों का साथ दिया। यह उनकी मजबूरी थी, लेकिन यह सिखाता है कि हमें कठोर परिस्थितियों में भी शांत रहकर, भावनात्मक हुए बिना निर्णय लेना चाहिए।
सफलता का सूत्र: जीवन और व्यापार में भावनाओं से दूर रहकर व्यावहारिक निर्णय लें। यदि किसी कठोर या अप्रिय निर्णय से भविष्य में बड़ा लाभ या बड़ी हानि से बचाव हो सकता है, तो उसे लेने में संकोच न करें। अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, परिस्थिति की मांग के अनुसार खुद को ढालना सीखें।