Bhishma Ashtami: पितृ दोष से मुक्ति के लिए भीष्म अष्टमी है खास, ये है शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Friday, Jan 27, 2023 - 10:49 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Bhishma Ashtami 2023: पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथी को भीष्म अष्टमी कहते हैं। इसी दिन भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा से मृत्यु को गले लगाया था। महाभारत युद्ध के समय जब पितामाह घायल हुए तो उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इतंजार किया और माघ मास में अपने प्राणों का त्याग दिया। अत: इस दिन भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाता है। आज के दिन जो व्यक्ति भीष्म पितामह के निमित्त तिलों के साथ तर्पण तथा श्राद्ध करता है, उसे संतान की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण के मुताबिक जीवित पिता वाले व्यक्ति को भी इस दिन भीष्म पितामह के लिये तर्पण करना चाहिए।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
Bhishma Ashtami ka Shubh Muhurt भीष्म अष्टमी का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार भीष्म अष्टमी की तिथि 28 जनवरी की सुबह 08:43 से शुरू होकर 29 जनवरी को सुबह 9 बजे तक रहेगी। इस दिन अश्विनी नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग भी दिन भर रहेगा।
Bhishma Ashtami vrat vidhi भीष्म अष्टमी व्रत विधि: भीष्म अष्टमी के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो घर पर ही मंत्र बोलकर नहा लें। नहाते समय हाथ में तिल लेकर और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।
मंत्र बोलने के बाद गंगा पुत्र भीष्म को अर्घ्य देना चाहिए। हो सके तो आज के दिन व्रत भी जरूर रखना चाहिए।
Significance of Bhishma Ashtami भीष्म अष्टमी का महत्व: मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसे संतान की प्राप्ति होती है और अंत समय में उसे मोक्ष प्रदान होता है। इस दिन पितामह भीष्म के लिए तर्पण, श्राद्ध करने से पापों का नाश होता है और पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है।