Bhagwan mahaveer ji: जानें, भगवान महावीर के जीवन और उपदेश से जुड़ीं बातें

punjabkesari.in Friday, Jan 10, 2025 - 01:04 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bhagwan mahaveer ji : भगवान महावीर का जन्म 599 ई.पू. वैशाली के उपनगर कुंडग्राम में महाराजा सिद्धार्थ के घर माता त्रिशला की कोख से हुआ। महावीर तीस वर्ष की अवस्था में राज प्रासाद का सुख-वैभव त्याग कर निग्र्रंथ (मुनि) बन गए और 12 वर्ष की घोर साधना के पश्चात उन्हें केवल ज्ञान (आत्मबोध) की प्राप्ति हुई।

भगवान महावीर के समक्ष विशाल भारतीय समाज की दुरावस्था, धर्मों तथा अनेक मतमतांतरों की परस्पर ऊहापोह तथा साम्प्रदायिकता का विषाक्त वातावरण था। भगवान महावीर अपने युग के महान लोकतंत्रवादी महापुरुष थे, जिन्होंने क्या धर्म, क्या समाज, क्या राजनीति, सभी को लोकतंत्रवादी प्रवृत्तियों से परखने का प्रयत्न किया। लोकतांत्रिक प्रवृत्तियों में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार तथा जीने का अधिकार प्रमुख हैं। इन तीनों के आधार पर महावीर के लोकतंत्रवाद की समीक्षा की जा सकती है ।

PunjabKesari Bhagwan mahaveer ji

समानता का अधिकार : भगवान महावीर ने अपने युग में रंग भेद एवं जातपात का घोर विरोध किया और सबको समानता का अधिकार दिया। उनके संघ में सभी वर्गों के साधक सम्मिलित थे। उनमें गौतम गौत्रीय इंद्रभूति ब्राह्मण थे, क्षत्रिय के रूप में दशार्ण भद्र और उदायण राजा थे, घना, शालिभद्र वैश्य थे और मैतार्यमुनि और हरिकेशी मुनि शूद्र थे।

भगवान महावीर को समानता के अधिकार के इस जन आंदोलन के कारण अनेक प्रकार के विरोधों तथा अपवादों को सहन करना पड़ा परंतु वे चिरकाल से चली आ रही जीर्ण-शीर्ण तथा सारहीन मान्यताओं में बदलाव लाना चाहते थे। उनको इस क्रांतिकारी परिवर्तन के कारण श्रमण सिंह की संज्ञा से अभिहित किया गया।

स्वतंत्रता का अधिकार : महावीर स्वतंत्रता के पक्षधर थे। क्या समाज, क्या जीवन यापन और क्या चिंतन, वे सभी में स्वतंत्रता को प्रश्रय देते थे। उन्होंने स्वयं पर आलोचना करने वालों का प्रतिवार नहीं किया और कहा कि वे स्वतंत्र हैं, जैसा चाहे कहें। उन्हीं के शिष्य गोशालक और उनके जमाता जमाति उनके विरोधियों में से थे परंतु महावीर ने सभी विरोधियों पर समभाव रखा। वह धर्म तथा अध्यात्म चिंतन में भी स्वतंत्रता चाहते थे। उन्होंने सभी आक्षेपों का ‘समन्वयवाद’ की दृष्टि से उत्तर दिया। इसे शास्त्रीय भाषा में ‘अपेक्षावाद’ कहा गया है। 

PunjabKesari Bhagwan mahaveer ji

महावीर का चिंतन था कि सत्य के लिए हठ मत करो, दूसरों के विचारों को निष्पक्ष होकर स्वीकार करो। जो मेरा है वही सत्य है कि बजाय जो सत्य है वही मेरा है की मान्यता को अपने जीवन में स्थान दो। महावीर की इसी मान्यता के कारण उन्हें अपने युग के महान लोकतंत्रवादी कहा गया। 

जीवन जीने का अधिकार : महावीर का सबसे बड़ा सिद्धांत था जीवन जीने का अधिकार। उन्होंने कहा कि संसार में न तो कोई संस्कृति अनादि है, न सभ्यता और न ही कोई धार्मिक मतवाद। यदि जीव की कोई अनादि प्रवृत्ति है तो वह है जीवन जीने की इच्छा।

संभवत: महावीर ने इसी चिंतन पर अहिंसा सिद्धांत की नींव रखी थी। महावीर ने कहा था ‘‘जीव का वध अपना ही वध है। जैसे तुम्हें जीने का अधिकार है, वैसे ही दूसरे प्राणियों को भी है। भगवान महावीर का यह सिद्धांत आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है। इसी पर चल कर विश्व युद्धों को रोका जा सकता है और विश्व शांति का यही राजमार्ग है।

PunjabKesari Bhagwan mahaveer ji


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Sarita Thapa

Related News