मीठे के साथ नमकीन जरूरी है, पढ़ें रोचक कथा

punjabkesari.in Thursday, Jan 21, 2021 - 07:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

शिष्य ने अपने गुरु से पूछा, ‘‘गुरु जी, जीवन में सुख हो यह तो समझ में आता है मगर दुख क्यों? यह समझ में नहीं आता।’’

गुरु ने उत्तर दिया, ‘‘चलो नाव में बैठते हैं, वहीं जवाब देंगे।’’

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गुरु-शिष्य दोनों नाव में बैठ गए। गुरु जी एक ही तरफ चप्पू चलाने लगे। नाव आगे बढऩे की अपेक्षा वहीं चक्कर मारने लगी।

शिष्य ने कहा, ‘‘गुरु जी! आपका दिमाग तो ठीक है?’’

गुरु ने पूछा, ‘‘क्यों?’’

शिष्य बोला, ‘‘अगर एक ही दिशा में चप्पू चलाते रहे तो हम उस किनारे कभी नहीं पहुंचेंगे। यहीं गोल घूमते रहेंगे। उस किनारे पहुंचना है तो बारी-बारी से दोनों तरफ चप्पू चलाना जरूरी है।’’

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गुरु बोले, ‘‘अरे तू तो बड़ा समझदार है रे। फिर इतनी बात क्यों नहीं समझता कि जीवन की नैया भी अकेले सुख से नहीं चलती। सुख के चप्पू के साथ दुख का चप्पू भी जरूरी है। जैसे मीठे के साथ नमकीन जरूरी है वैसे ही सुख के साथ दुख जरूरी है। जीवन के साथ मरण जरूरी है।’’

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दुनिया में एक ही जगह है जहां आदमी अपनी मर्जी से नहीं जाता। वह है मरघट। मुर्दे को भी बांध-बूंधकर ले जाना पड़ता है। डर लगता है कि कहीं वह उठ न जाए। अरे मुर्दा है सबको मालूम है कि वह उठ नहीं सकता लेकिन उसे भी बांध-बूंध कर ले जाते हैं।

जब मुर्दे का यह हाल है तो जिंदा आदमी का तो वहां जाने का सवाल ही नहीं उठता लेकिन इस बात को मत भूलो कि वही अंतिम घर है जहां देर-सवेर सबको बसना है। श्मशान ही ऐसा स्थान है जो कभी नहीं उजड़ता। बस्ती तो रोज उजड़ रही है, बस्ती में रोज ही कोई न कोई मरता है। मरना ही उजड़ना है।

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Niyati Bhandari

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