आपको भी है खुशियों की तलाश, ऐसे पाएं मनचाही Happiness

punjabkesari.in Saturday, Jan 01, 2022 - 04:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Best Motivational Story: विली बहुत शरारती था। वह स्वार्थी, दूसरों की उपेक्षा करने वाला तथा केवल अपने बारे में ही सोचने वाला था। उसे किसी की चिंता नहीं रहती थी। वह महंगे जूते तथा नया वीडियो गेम लेना चाहता था। इसके लिए वह अपने मां-बाप को तंग करता था। वह स्कूल में दूसरे बच्चों को भी तंग करता, उन्हें ‘संरक्षण’ देने के बदले उनसे मिठाई और पैसा वसूल करता था। वह अपने शिक्षकों के प्रति भी अशिष्ट था और प्राय: होमवर्क नहीं करता था। बच्चे उससे डरते थे इसलिए उसे नापसंद करते थे। इससे विली और अधिक झगड़ालु बन गया। 

PunjabKesari Best Motivational Story

एक दिन विली कुछ लड़कों को गली में दौड़ा रहा था। अंधाधुंध दौड़ते हुए एक बुजुर्ग महिला से जा टकराया जिससे वह जमीन पर गिर गईं। वह बुजुर्ग महिला थीं जो खाने-पीने का सामान लेकर घर लौट रही थीं। 

जब वह जमीन पर गिर पड़ीं तो सारा सामान चारों ओर बिखर गया, दूध फैल गया और सेब इधर-उधर रास्ते में लुढ़क गए।
पहले तो विली बिना परवाह किए तेजी से आगे निकल गया लेकिन जब उसने पीछे देखा कि वह खुद उठकर अपना सामान उठा रही हैं तो वह रुक गया और उनकी मदद के लिए वापस लौट आया। 

वह बुजुर्ग महिला न चिल्लाईं और न ही उसे डांटा। वह हंसी और बोलीं, ‘‘तुम जरूर जल्दी में होंगे।’’ 

उनके शांत भाव ने विली को अचरज में डाल दिया। वह उनसे माफी मांगने के लिए मजबूर हो गया और बिखरे हुए सामान को उठाने में उनकी मदद करने लगा। उनके स्नेह और सज्जनता ने उसे अपनी दादी की याद दिला दी। 

जब वह बहुत छोटा था तभी उसकी दादी चल बसी थीं। विली ने उनके थैले को ले चलने के लिए निवेदन किया। उन्होंने स्वीकार कर लिया। 

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इस घटना ने विली के जीवन की धारा ही बदल दी। वह बुजुर्ग महिला एक छोटे से मकान में रहती थीं। यह साफ-सुथरा था परन्तु उसमें मुरम्मत की जरूरत थी। उसका बगीचा जंगल का रूप ले चुका था क्योंकि उन्हें गठिया की बीमारी थी। उनके लिए झुक कर खर-पतवार निकालना या घास साफ करना संभव नहीं था।  

उन्होंने विली से कहा कि वह दालचीनी की चाय और घर का बना केक खाकर जाए। ‘‘ठीक है।’’ उसने कहा। 

वह शरमाता जा रहा था और साथ ही इधर-उधर निगाह दौड़ाकर देखता जा रहा था कि कोई देख तो नहीं रहा है। उसे डर था कि कहीं उसका सहपाठी उसे देख न ले और सोचे कि वह शरीफ हो गया है।

बुजुर्ग महिला ने अपने दोस्ताना नन्हे से कुत्ते ‘स्किपी’ और अपनी मोटी झबरी बिल्ली ‘टाइगर’ से उसका परिचय करवाया। कुछ ही देर में वह उनसे खेलने लगा। 

विली उन बुजुर्ग महिला से इस तरह बातें करने लगा, मानो वह उसकी दादी ही हों। उसे वहां बहुत अच्छा लग रहा था। वह वहां से जाना नहीं चाहता था। बहुत समय बाद आज का दिन उसके लिए बहुत अच्छा था। वह रुके रहने के कारणों के बारे में सोचने लगा। 
जब बुजुर्ग महिला ने उसे अपने जूतों के फीतों से उलझते देखा तो वह सोचने लगीं और उन्होंने पूछ ही लिया, ‘‘विली, क्या तुम हमारे पास दोबारा आना चाहोगे?’’ 

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विली ने विनम्रता से कहा, ‘‘हां, मैं आना चाहूंगा।’’

जब उसने ऊपर सिर उठाकर देखा तो उनकी आंखों से प्यार और दया छलक रही थी और उन्होंने कहा, ‘‘प्यारे बच्चे, तुम कभी भी आ सकते हो।’’ 

‘‘धन्यवाद’’ विली ने कहा। 

वह धीरे-धीरे जा रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट खिल उठी थी और उसके दिल में प्रेम की ज्योति जल उठी थी। यह न जाने कितने समय बाद पहला मौका था जब विली को आज सचमुच की खुशी महसूस हुई थी। कुछ कारण से उसे ऐसा लगा कि वह गाने गाए और हरेक से बढिय़ा व्यवहार करे। 

यहां तक कि उसने स्वयं को मुस्कुराते हुए पाया। अपने जानी दुश्मन वेने का भी हाथ हिलाकर अभिवादन किया जो सड़क के उस पार से गुजर रहा था। पहले-पहले तो वेने कुछ घबराया लेकिन फिर उसने मुस्कराकर विली को जवाब दिया।

विली उन बुजुर्ग महिला से अगले दिन मिलने गया, फिर उससे अगले दिन। जल्दी ही इस प्रकार उनके पास जाना उसका रोजमर्रा का काम हो गया। वह स्कूल जाते हुए नमस्कार करता जाता और ‘स्किपी’ को मोहल्ले में घुमाने ले जाता था। 

यहां तक कि वह बुजुर्ग महिला और ‘स्किपी’ सामने के बरामदे में उसका इंतजार करते थे। जैसे ही विली पहुंचता वह हमेशा मुस्कराहट से स्वागत करतीं और ‘स्किपी’ आतुर होकर भौंकता। स्कूल से घर आते समय विली रुक जाता। 

‘स्किपी’ और ‘टाइगर’ के साथ खेलता और उनसे गपशप करता। वह उनके छोटे काम में मदद भी कर देता। उनकी मदद करने से उसे खुशी होती थी। वह भी उसकी मेहनत के लिए उसकी प्रशंसा करती थीं। कुछ दिनों में उसने उनके बगीचे के आसपास के बगीचों में सबसे सुंदर बगीचा बना दिया। वह हमेशा सुझावों और टिप्पणियों को सुनने के लिए तैयार रहता था।

विली, उनकी जितनी मदद करता था उसे उतनी ही खुशी महसूस होती थी। वह दूसरे लोगों की भी मदद करना चाहता था। ऐसा करने से उसके अंदर एक खुशी की लहर दौड़ जाती थी। 

वह अंदर से खुशी में इतना भर जाता था कि उसे खुशी को दूसरों में बांटने की इच्छा होती थी। विली ने घर पर भी मदद करना प्रारंभ कर दिया। इससे उसके माता-पिता को भी आश्चर्य हुआ। स्कूल में भी उसने दूसरे बच्चों को डराना-धमकाना छोड़ दिया। 
स्वयं को दयावान, दूसरों की परवाह करने वाला तथा विचारवान दिखाने लगा। अंत में उसने हरेक का विश्वास, सम्मान और प्यार जीत लिया। वह अनेकों के लिए एक आदर्श बन गया। दूसरों को सहयोग देने से विली को खुशी की कुंजी मिल गई।


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Content Writer

Niyati Bhandari

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