घर में धूप करने से मिलते हैं ये लाभ, आप भी जानें

punjabkesari.in Wednesday, May 19, 2021 - 02:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ-साथ धूप व दीप-दान का अधिक महत्व है। कहा जाता है ये परंपराएं प्राचीन समय से ही चली आ रही है। कहा जाता है घर में सुबह शाम धूप-दान करना जितना धार्मिक दृष्टि से महत्व रखता है, उतना ही वास्तु शास्त्र में भी इसकी विशेषता बताई गई है। बल्कि इसमें तो इससे होने वाले फायदों के बारे में भी वर्णन किया गया हैै। आमूमन लोगों को केवल एक-दो तरह की धूप के बारे में पता होता है। तो बता दें वास्तु शास्त्र में बताया है कि कई प्रकार से व अनेकों प्रकार की वस्तुओं को जलाकर धूप की जा सकती है। जिससे घर में नकारात्क ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता बल्कि जीवन में से पितृदोष, ग्रह दोष, वास्तु दोष तथा अन्य तरह के गृह कलह-क्लेश मुक्ति मिल जाती हैै। इतना ही नहीं घर में आगे बताई जाने वाली धूप से परिवार के रोगी सदस्यों को अपनी तमाम बीमारियों से राहत मिलने लगती है। तो आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र में बताए गए इसके उचित वर्णन के बारे में-

वास्तु व धार्मिक शास्त्रों में कई प्रकार की धूप का उल्लेख किया है। तो वहीं तंत्रसार की मानें तो अगर, तगर, कुष्ठ, शैलज, शर्करा, नागरमाथा, चंदन, इलाइची, तज, नखनखी, मुशीर, जटामांसी, कर्पूर, ताली, सदलन और गुग्गुल ये 16 प्रकार की वस्तुओं को धूप देने के पात्र में जलते उपले पर डालकर धूप दी जाती है। जिसे षोडशांग धूप के नाम से जाना जाता है। मान्यता है इनकी धूनी देने से जातक को आकस्मिक रोग, शोक और दुर्घटना आदि का खतरा नहीं होता। 

मदरत्न के अनुसार चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, शर्करा, नखगंध, जटामांसी, लघु और क्षौद्र सभी को समान मात्रा में मिलाकर जलाने से जो उत्तम धूप निर्मित होती है उसे दशांग धूप कहा जाता है, जिससे घर में शांति पैदा होती है। 

इसके अतिरिक्त शास्त्रों में अन्य मिश्रणों का भी उल्लेख मिलता है जैसे- छह भाग कुष्ठ, दो भाग गुड़, तीन भाग लाक्षा, पांचवां भाग नखला, हरीतकी, राल समान अंश में, दपै एक भाग, शिलाजय तीन लव जिनता, नागरमोथा चार भाग, गुग्गुल एक भाग लेने से अति उत्तम धूप तैयार होती है। रुहिकाख्य, कण, दारुसिहृक, अगर, सित, शंख, जातीफल, श्रीश ये समस्त धूप में श्रेष्ठ माने जाते हैं।

यहां जानें धूप देने से किस तरह के लाभ मिलते हैं- 
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि धूप देने से मन, शरीरे और घर के सदस्यों के बीच शांति की स्थापना होती है। साथ ही साथ अगर किसी के कुंडली में देवदोष, पितृदोष,  ग्रहदोष आदि हो तो उससे भी छुटकारा मिलता है। 

जिस घर में किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का वास हो तो निरंतर घर में धूप करनी चाहिए। इससे नैगेटिव एनर्जी का असर कम होता है साथ ही साथ वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है। पर इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि इसे करने के भी नियम होते हैं। अगर उन नियमों के अनुसार इसे न किया जाए तो लाभ प्राप्त नहीं होता। 
धूप देने से मन, शरीर और घर में शांति की स्थापना होती है। इससे देवदोष, पितृदोष, वास्तुदोष, ग्रहदोष आदि मिट जाते हैं। इससे सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते 

रोज धूप नहीं दे पाएं तो तेरस, चौदस, अमावस्या और तेरस, चौदस तथा पूर्णिमा को सुबह-शाम धूप अवश्य देना चाहिए। मान्यता है कि सुबह दी जाने वाली धूप देवगणों के लिए और शाम को दी जाने वाली धूप पितरों के लिए लगती है। हालांकि शाम की धूप भी देवगणों के लिए दी जा सकती है।

इस बात का ख्याल रखें कि धूप देने के पूर्व घर की सफाई कर दें। पवित्र होकर-रहकर ही धूप दें। धूप ईशान कोण में ही दें। घर के सभी कमरों में धूप की सुगंध फैल जाना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धूप देने और धूप का असर रहे तब तक किसी भी प्रकार का संगीत नहीं बजाना चाहिए। 
 


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Content Writer

Jyoti

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