Basant Panchami: हैप्पी लव लाइफ व पढ़ाई के लिए करें यह काम

punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 06:04 PM (IST)

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Happy Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी का दिन ज्ञान, वाणी तथा विद्या की देवी माता सरस्वती को समर्पित होता है। यह दिन माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन माता सरस्वती प्रकट हुई थी। यह त्यौहार 02 फरवरी 2025 रविवार के दिन मनाया जायेगा। बसंत पंचमी को सरस्वती पंचमी या ऋषि पंचमी के नाम से भी संबोधित किया गया है। सरस्वती, गायत्री के साथ-साथ इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु व कामदेव की भी पूजा की जाती है। जिससे कि गृहस्थ सुख, ज्ञान, धन एवं मधुर संबंधों को विकसित करने में सहायता मिलती है। इस वसंत ऋतु के दौरान प्रकृति सौंदर्य अपने चरम पर होता है। कामदेव एवं उनकी पत्नी रति प्राणियों में सौंदर्य, प्रेम की भावना उत्पन्न करते हैं, जिससे सृष्टि चक्र को संचालित करने में सहायता प्राप्त होती है। 

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What is Saraswati Puja 2025: सरस्वती माता का हमारे जीवन में क्या महत्व है- जब श्री हरि विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की और मानव जाती को उत्पन्न किया गया। तब ब्रह्मा जी ने देखा कि मानव, पशु-पक्षी सभी को बनाया गया परन्तु इतनी कुछ रचना करने के बाद भी इनमें जीवन का रस उत्पन्न नहीं हो पाया। सब कुछ बिल्कुल शांत है, सन्नाटा है। इतना कुछ बनाकर भी सब कुछ नीरस प्रतीत होता है। तब ब्रह्मा जी ने विष्णु जी से इस नीरसता को दूर करने का सुझाव मांगा तो विष्णु जी ने कहा- कि आप आदि शक्ति की शरण में जाओ। ब्रह्मा जी ने आदिशक्ति को अपनी व्यथा सुनाई तो आदिशक्ति ने एक देवी को प्रकट किया। जिसके एक हाथ में वीणा, दूसरे में वर मुद्रा और बाकी के हाथों में मालाएं एवं ग्रंथ थे। जिसका नामकरण माता सरस्वती के रूप में किया गया। माता को शारदा, देवी भगवती, भागेश्वरी, वीणा वादिनी इत्यादि अनेकों नामों से भी जाना जाता है। माता सरस्वती की कृपा से ही सभी जीवों को वाणी प्राप्त हुई। जिससे कि सभी में सुर प्रकट हुए तथा वे एक-दूसरे से बातचीत करने के योग्य बन पाये तथा इस रची गई सृष्टि की नीरसता दूर हो सकी। इसी ही कारण माता सरस्वती को वाणी, ज्ञान एवं विद्या की देवी कहा गया है। इसी कारण बसंत पंचमी पर माता सरस्वती जी का पूजन किया जाता है। 

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इस दिन जिन विधार्थियों को पढ़ाई से संबंधित कोई भी समस्या चल रही है तो उन्हें आज के दिन गायत्री मंत्र का पाठ आरम्भ करना चाहिए। जिससे आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो सके और विधाथियों की ऑब्जर्वेशन स्किल के साथ-साथ याद करने की क्षमता भी बढ़ सके। निरंतर गायत्री मंत्र का जाप करते रहने से आपको आध्यात्मिक शक्तियों के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा को भी विकसित करने में सहायता प्राप्त होती है।

अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ. होवर्ड स्टिएनगेरिल ने शारीरिक विज्ञान की प्रयोगशाला में कई वर्षों के गहन परीक्षण के पश्चात यह घोषित किया है कि गायत्री मंत्र प्रति सैकेंड एक लाख दस हजार ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता है। जिसका सीधा-सीधा प्रभाव मानव शरीर एवं उसके मन पर पड़ता है और इस दिव्य मंत्र में विभिन्न फ्रीकवेंसीज के मिश्रण से विशेष आध्यात्मिक शक्तियों को विकसित करने की क्षमता विद्ययमान है। आज के दिन पीली वस्तुओं का दान व पीली मीठी वस्तुओं को खाने से भी हमारे शरीर एवं मन पर विषेश सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 

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महर्षि भृगु जी के द्वारा रचित ग्रंथ श्री भृगु संहिता जो कि सुल्तानपुर लोधी में स्थित है उसमें भी वर्णन किया गया है कि- गायत्री और सरस्वती में किंचित मात्र भी फर्क नहीं है। यह दोनों एक ही ऊर्जा के दो रूप हैं। इस दिन माता के ऐसे रूप की पूजा करनी चाहिए, जिसमें माता विराजमान अर्थात बैठी हुई अवस्था में हों ताकि जो भी ज्ञान आपको प्राप्त हो वह आपके पास आकर स्थिर हो सके और आप उसका पूर्ण लाभ उठा सकें। सभी को इस दिन माता सरस्वती की कृपा अवश्य प्राप्त करनी चाहिए। 

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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Content Writer

Niyati Bhandari

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