Basant Panchami: ऋतुराज ‘वसंत’ के आगमन से जुड़ी हैं ये पौराणिक कथाएं
punjabkesari.in Tuesday, Feb 13, 2024 - 08:23 AM (IST)
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Basant panchami 2024: फरवरी को वसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन मां सरस्वती या शारद की पूजा-अर्चना करने का विधान है। वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन्हें ज्ञान की देवी भी कहा जाता है। यह दिन विद्यार्थियों और संगीत प्रेमियों के लिए बेहद खास है। मां को पीला रंग विशेष प्रिय है। पूजा के बाद मां को पीले रंग की चीजें अर्पित की जाती हैं। यहां तक कि मां के भक्त इस दिन पीले रंग के वस्त्र ही धारण करते हैं। मां को पीले रंग के चावलों का भोग लगाएं। पीला रंग सादगी और सात्विकता तथा समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशीर्वाद का प्रतीक है। यह दिमाग को सक्रिय करता है, उत्साह को बढ़ाता है, साथ ही नकारात्मकता को दूर करता है।
इस मौसम में ठंड कम होने लगती है। पेड़ों पर नई पत्तियां आने लगती हैं और खेतों में पीली सरसों की फसल लहराने लगती है। चारों ओर पीला-पीला सा सुहावना वातावरण बना दिखाई देता है। वसंत के आगमन पर पृथ्वी अथवा सारी प्रकृति अपने यौवन पर आ जाती है तथा राग-रंग में डूबकर चमकने लगती है। ऋतुओं में वसंत लोगों का सर्वाधिक मनचाहा मौसम है, जब फूलों पर बहार आ जाती है।
उपनिषद् की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने जीवों खास तौर पर मनुष्य की रचना की लेकिन इस सृजन से वह संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिस कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमंडल से जल हथेली में लेकर संकल्प स्वरूप उसे छिड़क कर भगवान विष्णु की स्तुति आरंभ की। वह तत्काल ही ब्रह्मा जी के सम्मुख प्रकट हो गए और उनकी समस्या जानकर आदि शक्ति मां दुर्गा का आह्वान किया।
भगवती दुर्गा जी वहां प्रकट हो गईं और ब्रह्मा जी एवं विष्णु जी की बातें सुनने के बाद उसी क्षण आदि शक्ति दुर्गा माता के शरीर से एक श्वेत रंग का भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य देवी के रूप में परिवर्तित हो गया। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर देवी का था जिनके एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में वर मुद्रा तथा अन्य हाथों में पुस्तक एवं माला थी। उस स्वरूप ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई और जलधारा में हलचल व्याप्त हो गई।
वातावरण में प्राणवायु का संचार हो गया। तभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती कहा।
ऋग्वेद के अनुसार, ‘‘यह एक परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में यह हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं।’’
‘‘हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।’’
यह महान विभूतियों का स्मृति पर्व भी है। वसंत पंचमी के दिन ही पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को मौत के घाट उतार दिया था। उन्होंने जिस तरह उसका वध किया वह घटना बड़ी दिलचस्प और हैरतअंगेज है। वास्तव में पृथ्वीराज ने युद्ध में सोलह बार मोहम्मद गौरी को पराजित किया और हर बार उदारता दिखाते हुए उसे माफ कर दिया लेकिन 17वीं बार हुए युद्ध में गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बना लिया और अपने साथ अफगानिस्तान ले गया। वहां उसने पृथ्वीराज चौहान की आंखें निकाल दीं लेकिन उन्हें मारने से पहले वह शब्द भेदी बाण चलाने की उनकी कला का कमाल देखना चाहता था।
ऐसे में पृथ्वीराज के गहरे मित्र और कवि चंदबरदाई ने एक कविता के माध्यम से उन्हें गुप्त संदेश देते हुए कहा :
चार बांस चौबीस गज,
अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुलतान है,
मत चूको चौहान।
पृथ्वीराज ने जब हिसाब लगाकर निशाना साधा तो तीर सीधे गौरी के सीने में जाकर लगा। इसके बाद पृथ्वीराज और चंदबरदाई दोनों ने एक-दूसरे को छुरा मार कर आत्म बलिदान दे दिया।
वसंत पंचमी वाले दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा व आजादी की अलख सबसे पहले जगाने वाले सतगुरु राम सिंह जी का जन्मदिन भी मनाया जाता है। उन्होंने गौ हत्या व अंग्रेजों के शासन के विरुद्ध आवाज उठाई थी।
अमर शहीद वीर बलिदानी बाल हकीकत का इतिहास भी वसंत पंचमी से जुड़ा हुआ है। धर्म की वेदी पर कुर्बान होने वाले वीर हकीकत राय का बलिदान दिवस भी इसी दिन मनाया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
विदेशी आक्रांताओं से त्रस्त भारत भूमि एक सहस्त्र वर्षों तक परतंत्र रही। वसंत पंचमी के दिन ही 23 फरवरी, 1734 को एक छोटे से बालक वीर हकीकत राय द्वारा इस्लाम स्वीकार नहीं करने के कारण, उनका सिर धड़ से अलग कर दिया गया था।
वैदिक हिन्दू सनातन धर्म की रक्षा हेतु प्राणों की आहुति देने वाले वीर हकीकत अमर हो गए। इसी दिन हिन्दी के यशस्वी कवि पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्मदिन भी होता है।