Bahula Chaturthi: परिवार में सुख-शांति बढ़ाने के लिए बहुला चतुर्थी पर करें ये पूजा और उपाय

punjabkesari.in Tuesday, Aug 12, 2025 - 06:36 AM (IST)

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Bahula Chaturthi 2025: वर्तमान समय में जब लोग स्वार्थ, संसाधनों और लालच में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, बहुला चतुर्थी पर्व निस्वार्थ सेवा, प्रकृति प्रेम और करुणा की याद दिलाता है। बहुला चतुर्थी को सत्य और धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। संतान सुख और उसके अच्छे जीवन की कामना के लिए ये व्रत बहुत ही फलदायी है। बहुला चतुर्थी एक अत्यंत पवित्र, ग्रामीण और भावनात्मक लोक पर्व है, जो विशेष रूप से गाय, मातृत्व और भक्ति से जुड़ा हुआ है। यह व्रत उत्तर भारत विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य भारत के ग्रामीण अंचलों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है और इसका सीधा संबंध गौ माता की पूजा और गोपाल (कृष्ण) भाव से है। 

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इस साल 12 अगस्त मंगलवार 2025 को बहुला चतुर्थी व्रत है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी के साथ बहुला चौथ का व्रत रखा जाता है। यह व्रत श्री कृष्ण और उनकी प्रिय गाय बहुला के लिए रखा जाता है। श्री कृष्ण को बहुला चतुर्थी का दिन बहुत ही प्यारा है। जो व्यक्ति ये व्रत रखता है, नन्द के लाल उनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं। यशोदा नंदन के गौशाला में एक गाय थी जिसका नाम बहुला था, इस वजह से इसे बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं, आज के दिन किस विधि से पूजा करनी चाहिए।

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Method of worship on Bahula Chaturthi बहुला चतुर्थी पूजा विधि 
प्रात:काल स्नान करके व्रत का संकल्प लें। 
गाय या गाय की मूर्ति/चित्र को स्नान कराकर पुष्प, हल्दी, कुमकुम, चंदन से सजाएं।
गाय के बछड़े के साथ यदि संभव हो तो उसे हरा चारा, गुड़ और पानी अर्पित करें।
बहुला माता की कथा श्रवण करें।

Story of Bahula Chaturthi Vrat: संतान सुख की इच्छा रखने वाली हर मां पढ़े, बहुला चतुर्थी व्रत कथा

गाय के खुर, सींग और पीठ पर हल्दी और कुमकुम का तिलक करें।
गाय के चारों पैरों को पूजा जल से धोएं, फिर उसके चरणों की मिट्टी को अपने माथे पर लगाएं।
शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें।
ब्राह्मण या गौशाला में अन्न, फल या चारा दान करें।

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Do these remedies on Bahula Chaturthi बहुला चतुर्थी पर करें ये उपाय
गाय और बछड़े की प्रदिक्षणा करने से सुख-शांति प्राप्त होती है।

नीम की पत्तियों से गौ माता को सहलाएं, इससे नकारात्मक ऊर्जा का शमन होता है और घर में शांति बनी रहती है।

गाय की आंखों में देख कर मौन प्रार्थना करें। यह अभ्यास आत्मिक शुद्धि का मार्ग है क्योंकि गाय की आंखों में करुणा और विश्वास का प्रतिबिंब होता है।

पीतल या मिट्टी के पात्र में जल और तुलसी डालकर गाय को दें। इससे संबंधों में प्रेम और घर में समृद्धि आती है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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