ज्योतिष की राय: शुभ मुहूर्त पर डिलीवरी करवाकर बच्चे को बनाएं भाग्यवान

punjabkesari.in Saturday, Jan 27, 2018 - 10:05 AM (IST)

आजकल कई कपल्स प्रैग्नैंसी पीरियड से ही बच्चे का जन्मदिन व जन्म समय यानी शुभ समय जानने के लिए ज्योतिषियों की सलाह से डिलीवरी प्लान करना चाहते हैं उनकी यह सोच बनती जा रही है कि यदि शुभ समय व शुभ ग्रह-नक्षत्रों में बच्चा जन्म लेगा तो वह सौभाग्यशाली होगा। 


इसी सोच के चलते बहुत से लोग शुभ समय देखकर सीजेरियन करवाकर बच्चे को जन्म देते हैं ताकि उनका बच्चा भाग्यवान बने लेकिन न तो यह सोच उचित है और न ही प्रकृति के नियमों के खिलाफ यह कदम बच्चे के भाग्य को जगा पाने में सक्षम। ग्रहों का समय अपने अनुसार बदलना कोई आसान प्रक्रिया नहीं है। 


कई कपल्स शुभ मुहूर्त में बच्चे को जन्म देने के लिए ज्योतिष की गणना का सहारा लेते हैं, ताकि बच्चे के जन्म ग्रह बदल जाएं और बच्चे का भविष्य सुनहरा बन सके लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि मुख्य ग्रह बृहस्पति, जो बच्चे को पढ़ाई, व्यवसाय, विवाह या संतान सुख दिलाने में सक्षम है, वह एक साल के बाद बदलता है। शनि ढाई वर्ष, राहू-केतु डेढ़ वर्ष, सूर्य 30 दिन और सबसे कम समय लेता है चंद्रमा यानी लगभग अढ़ाई दिन, जोकि मन का हाल बतलाता है, ऐसे ग्रहों की चाल बहुत ज्यादा बदली नहीं जा सकती। जन्म समय से अढ़ाई दिन में चंद्रमा की चाल का ख्याल रख कर केवल एक राशि आगे या पीछे की जा सकती है, अधिक से अधिक मेष होने पर वृष या मीन। हां, इतना अवश्य है कि चंद्रमा बच्चे की कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसी से बच्चे की नाम राशि का पता चलता है। 


किसी भी शुभ मुहूर्त के विचार के समय कुंडली में चंद्रमा के बल को बहुत महत्व दिया जाता है जन्म समय में चंद्रमा की ताकत को 100 प्रतिशत देखा जाता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि बच्चे के जन्म की तारीख को उस आधार पर बदलने की कोशिश करें। बच्चे के गुणों को उभारें, उन्हें भाग्य के भरोसे न छोड़कर संस्कारी बनाने पर अधिक जोर दें, वरना बच्चे की सोच इससे प्रभावित होगी। भाग्य का अपना स्थान है, लेकिन कर्म भी उतना ही जरूरी है जीवन में आगे बढऩे के लिए। जन्म समय में जिस ग्रह का बच्चे के जीवन में प्रभाव होगा, उसे संवारने का प्रयास करें। 


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