अच्छी फसल पाने के लिए जरूरी है वास्तुनुकूल खेत

punjabkesari.in Friday, May 22, 2015 - 02:48 PM (IST)

भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की आबादी का बहुत बड़ा भाग कृषि की आमदनी पर निर्भर करता है, इस कारण देश की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि कार्य प्रकृति में पाए जाने वाले पांच महातत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश पर निर्भर हैं और इन पंचतत्त्वों के साथ सही सामंजस्य बिठाकर खेती की जाए तो किसान हर बार अच्छी फसल लेकर सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है।

1 खेती की जमीन ऐसी जगह खरीदें, जिसके उत्तर-पूर्व में गहरे गड्ढे, तालाब, नदी इत्यादि और दक्षिण व पश्चिम में ऊंचे-ऊंचे टीले व पहाडि़यां हों। ऐसी जमीन पर हमेशा अच्छी फसल पैदा होती है।
 
2 अच्छी फसल पाने के लिए खेती की जमीन वर्गाकार, आयताकार हो पर अनियमित आकार की न हो। खेतों का दक्षिण पश्चिम कोना 900 का होना चाहिए।
 
3 खेती की जमीन की उत्तर, पूर्व एवं ईशान दिशा का दबा, कटा एवं गोल होना बहुत अशुभ होता है, इससे हमेशा फसल को नुकसान होता है। जमीन का इन दिशाओं में बड़ा होना बहुत शुभ होता है। यदि यह दिशाएं दबी, कटी या गोल हों तो इन दिशाओं में जमीन को समकोण करके फसल को होने वाले नुकसान से बचना चाहिए।
 
4 खेती के लिए कुंआ या बोर उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण में होना चाहिए। इसके विपरीत अन्य किसी भी दिशा में इनका होना अशुभ होता है। खेत के मध्य में भूमिगत पानी का स्रोत जबर्दस्त बर्बादी का कारण बनता है।
 
5 सिंचाई के लिए ईशान कोण स्थित भूमिगत जल स्रोत से पाइप डालकर पहले दक्षिण दिशा तक पहुंचाना चाहिए और फिर खेत में दक्षिण से उत्तर की ओर या पश्चिम से पूर्व की ओर नालियां बनाकर सिंचाई करनी चाहिए।
 
6 दोनों मौसम की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए जमीन का उत्तर, ईशान व पूर्व का भाग दक्षिण, नैऋत्य व पश्चिम भाग की तुलना में नीचा होना चाहिए। जमीन का ईशान कोण या उत्तर, पूर्व दिशा ऊंची हो तो वहां की मिट्टी निकालकर दक्षिण पश्चिम दिशा एवं नैऋत्य कोण में डालकर जमीन को समतल कर देना चाहिए।
 
7 खेत में उत्तर-पूर्व या ईशान के अलावा अन्य कहीं गड्ढ़े हों तो उन्हें तुरंत भर देना चाहिए। इसी प्रकार उत्तर पूर्व व ईशान कोण में टीलें हों तो उन्हें खोदकर समतल कर देना चाहिए।
 
8 खेत में आने जाने का रास्ता पूर्व या उत्तर की ओर हो, तो ज्यादा लाभदायक होता है पर ध्यान रहे कभी भी नैऋत्य कोण से खेत के अंदर नहीं जाना चाहिए।
 
9  अपने खेत में से किसी अन्य के खेत में जाने का रास्ता नहीं होना चाहिए।
 
10 खेत पर स्वयं के रहने के लिए घर बनाना हो तो नैऋत्य कोण में बनाना चाहिए। यहीं पर गोदाम बनाकर तैयार फसल का भण्डारण भी किया जा सकता है।
 
11  खेत में मजदूरों का निवास स्थान आग्नेय कोण या पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। ईशान या नैऋत्य कोण में कभी नहीं बनाए।
 
12 कृषि कार्य में सहायता करने वाले जानवर जैसे गाय, बैल, ऊंट इत्यादि को बांधने का स्थान पश्चिम दिशा या वायव्य में होना चाहिए।
 
13 खेती में उपयोग में आने वाले औजार नैऋत्य कोण या दक्षिण दिशा में रखने चाहिए। इन्हें उत्तर-पूर्व या ईशान कोण में कभी नहीं रखना चाहिए।
 
14 खेती में काम आने वाले वाहन ट्रैक्टर, बैलगाड़ी इत्यादि पश्चिम वायव्य में रखने चाहिए। ईशान या नैऋत्य कोण में कभी नहीं रखें।
 
15 खेत में चारे के ऊंचे ढेर नैऋत्य या दक्षिण की तरफ लगाने चाहिए।
 
16 खेती के उपयोग में आने वाली खाद्य का भण्डारण खेत की पश्चिम दिशा की तरफ करना चाहिए।
 
17 गोबर के उपले व राख इत्यादि आग्नेय कोण में रखने चाहिए।
 
18 इलेक्ट्रिक पोल, ट्रांसफार्मर, बिजली का मीटर व अन्य विद्युत उपकरण आग्नेय कोण में स्थापित करने चाहिए।
 
19 पक्षियों को डराने वाला पुतला दक्षिण या पश्चिम में पूर्व या उत्तरमुखी दिशा रखना चाहिए।
 
20 फसल बोते समय बुआई का क्रम क्लाकवाइज रखते हुए, पूर्व से प्रारम्भ करके आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर की ओर जाना चाहिए।
 
21 तैयार फसल को काटते समय ईशान से प्रारम्भ करके एक तरफ वायव्य कोण की तरफ बढ़ना चाहिए। दूसरी तरफ आग्नेय कोण की तरफ बढ़ना चाहिए। फिर वायव्य कोण से नैऋत्य कोण की ओर और आग्नेय कोण से भी नैऋत्य कोण की ओर बढ़ते हुए काटना चाहिए।
 
22 शीघ्र बेचने वाली तैयार फसल जैसे फूल, सब्जी इत्यादि को वायव्य कोण में रखना चाहिए। वायव्य कोण में रखी फसल जल्दी बिकती है।
 
23 खेत की जमीन पर फुलवारी उत्तर, पूर्व दिशा व ईशान कोण में बनानी चाहिए। ध्यान रहे यहां बड़े वृक्ष नहीं होने चाहिए। बड़े वृक्ष केवल दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण में होने चाहिए।
 
24 बूंद-बूंद सिंचाई या फव्वारा सिंचाई के लिए ओवरहेड वाटर टैंक खेत की पश्चिम दिशा में ही बनाना चाहिए।
 
25 खेत में तालाब बनाकर मछली पालन करना हो तो खेत के पूर्व या उत्तर दिशा में तालाब बनाकर करें। दक्षिण या पश्चिम दिशा में ऐसा कभी न करें।
 
26 खेत में मुर्गी पालन करना हो तो केवल पश्चिम दिशा में ही करें।
 
27 खेत में भेड़, बकरी पालन दक्षिण-पश्चिम दिशा में शेड बनाकर करना चाहिए।
 
28 खेत में दूध वाले वृक्षों का उगना काफी अशुभ होता है क्योंकि अधिकतर पेड़ों से निकलने वाला दूध जहरीला होता है। ऐसे पेड़-पौधों का दूध आंखों में चला जाए तो आंखें खराब हो जाती हैं और कई बार आंखों की रोशनी तक चली जाती है।
 
29 यदि आप अपने खेत की जमीन के पास की जमीन खरीदना चाहते हैं तो नई जमीन, पुरानी जमीन की उत्तर पूर्व दिशा की ओर ही खरीदें। दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य की तरफ की जमीन खरीदकर पुरानी जमीन का बढ़ाव करना बहुत अशुभ होता है।
 
- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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