Annakoot Festival: आज शाम को घर-आंगन में करें ये काम, कई रोग होंगे दूर
punjabkesari.in Wednesday, Oct 22, 2025 - 08:58 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Annakoot Festival 2025: पौराणिक दृष्टि से चूंकि श्री कृष्ण ने इंद्र का मान-मर्दन किया था, अत: इंद्र के स्थान पर श्री कृष्ण के पूजन का विशेष महत्व है। कहते हैं कि गोवर्धन पूजा पर्व और अन्नकूट महोत्सव का अनुष्ठान करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन पवित्र होने के बावजूद इस दिन चंद्रदर्शन वर्जित माना गया है। मान्यता है कि इस दिन शाम को मार्गपाली (एक प्रकार का स्तंभ जिसे रास्ते के रक्षक के रूप में स्थापित किया जाता था और इसकी पूजा की जाती थी। ) और राजा बलि की पूजा करने तथा मार्गपाली के वंदनवार के नीचे होकर निकलने से सभी प्रकार की सुख-शांति रहती है तथा कई रोग दूर हो जाते हैं।
Govardhan Puja vidhi गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के साथ-साथ गौ-पूजन की भी तैयारी आरम्भ हो जाती है। सुबह होते-होते ही गायों को नहलाना-धुलाना, उन्हें विभिन्न अलंकारों से सजाना। कभी-कभी उनके मेहंदी भी लगा दी जाती है। उनका शृंगार होने के बाद उनका गंध, अक्षत और फूल अर्पण कर पूजन किया जाता है। उनके पैर धो कर उनकी प्रदक्षिणा ली जाती है।

लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुस्र्पेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु॥
कह कर नैवेद्य अर्पित करते हैं। नैवेद्य में मिष्ठान्न का महत्वपूर्ण स्थान होता है, जो गायों को खिलाया जाता है। इस गोबर से घर-आंगन को लीपा जाना शुभ होता है।

गाय मानव को अपना सर्वस्व देती है, उसका दूध, गोबर, गोमूत्र सब कुछ उपयोगी है। ऐसी हमारे लिए महत्वपूर्ण गाय का उपकार मानते हुए उसके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए, इस भावना से गौ-पूजन किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गाय का महत्व बताया और समझाया कि इस कारण गोवर्धन और गायों के पूजन का इस पर्व में विशेष महत्व है।

Annakoot Festival अन्नकूट महोत्सव
भगवान विष्णु अथवा उनके अवतार व अपने इष्ट देवता का इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर, रंगोली सजा कर, पके हुए चावलों को पर्वताकार अर्पित कर के पूजन किया जाता है। इसे छप्पन भोग की संज्ञा भी दी गई है। तरह-तरह के चावल के साथ गेहूं के पकवान, विभिन्न सब्जियां रखी जाती हैं। दूध एवं खोए की मिठाइयां, जलेबी, लड्डू आदि तैयार किए जाते हैं। साथ ही विभिन्न फलों को भोग में सम्मिलित किया जाता है। फिर इस महाप्रसाद को भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है।

