गणेशोत्सव समापन: देश में देखने को मिले हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के प्रेरक उदाहरण

punjabkesari.in Thursday, Sep 12, 2019 - 08:54 AM (IST)

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2 से 12 सितम्बर तक मनाए जाने वाले गणेशोत्सव के दौरान जहां चारों ओर गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई दे रही है वहीं हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे और सद्भावना की मिसालें भी देखने को मिल रही हैं। 

छत्तीसगढ़ के चाम्पा में गणेशोत्सव में सुबह और शाम की आरती में शामिल होकर मुसलमान बंधुओं ने एकता की मिसाल पेश की। 
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कर्नाटक के हुबली के एक गांव में हिंदुओं और मुसलमानों ने गणेशोत्सव मिल कर मनाया। इस गांव में हिंदू और मुसलमान भाईचारे के सदस्य होली, दीवाली और ईद सभी पर्व मिल कर मनाते हैं।

मध्य प्रदेश के भिंड शहर की गोल मार्कीट में हिंदुओं और मुसलमानों ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर गणपति बप्पा मोरया के जयघोष के साथ देश में अमन-चैन की दुआएं मांगीं।

उत्तर प्रदेश के चंदौसी में भगवान श्री गणेश की शोभायात्रा के दौरान मुस्लिम भाइयों ने भगवान श्री गणेश को 351 किलो का मोदक चढ़ाया।

मुम्बई में मुसलमानों की सामाजिक संस्था ‘उम्मीद फाऊंडेशन’ ने गणेशोत्सव के दौरान अपने कार्यालय में हरी सब्जियों से निर्मित बप्पा की ईको फ्रैंडली मूर्ति विराजित की व रोज शाम की आरती के समय दीए जलाए। 
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पारम्परिक तरीके से बप्पा को एक बाल्टी पानी में विसर्जित करके इस पानी को पौधों में डाला गया, बप्पा के पंडाल में सजे फूल खाद बनाने के लिए दिए गए व हरी सब्जियों का खाना बनाकर बच्चों को खिलाया गया।

इसी प्रकार मुम्बई के ‘तरुण बाल मित्र मंडल’ में आयोजित गणेशोत्सव में प्रतिदिन एक 24 वर्षीय मुसलमान युवक आरती पाठ तथा मंत्रोच्चारण करता देखा गया। उसे गणपति पूजन की सारी विधि भी याद है।

मध्य प्रदेश में रतलाम जिले के ललाखेड़ा गांव में मुम्बई से आकर बसे मन्नत नामक एक मुसलमान भाई के परिवार ने गणेशोत्सव आयोजित किया जिसमें स्वयं मुस्लिम परिवार के सदस्य तथा सैंकड़ों अन्य ग्रामवासी भगवान गणेश की आरती करते तथा भजन गाते हैं। 
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हालांकि समाज विरोधी शक्तियां सदियों से रौशन भाईचारे के चिराग बुझाने की कोशिशें लगातार करती आ रही हैं, परंतु समय-समय पर सामने आने वाले ऐसे उदाहरण साक्षी हैं कि नफरतों की आंधियां चाहे कितना भी जोर लगा लें हम एक थे, एक हैं और एक ही रहेंगे।


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Jyoti

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