Ambedkar Jayanti 2022: ये हैं बाबा साहिब के जीवन से जुड़ी रोचक बातें
punjabkesari.in Thursday, Apr 14, 2022 - 08:12 AM (IST)
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Bhimrao Ramji Ambedkar Jayanti 2022: 14 अप्रैल 1891 ई. को सूबेदार राम जी के घर माता भीमा बाई की कोख से जन्मे युग पुरुष डा. भीम राव अम्बेडकर ज्ञान के सागर व 6 विश्वप्रसिद्ध विद्वानों में से एक ऐसे महानायक हैं जो अपनी जन्म भूमि पर रहने वाले लोगों को जात, जमात, मजहब और धर्म से ऊपर उठ कर अपना परिवार मानते हैं और इसकी आजादी, सुरक्षा और उन्नति के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं।
डा. भीम राव अम्बेडकर साहिब ऐसे ही योद्धा हुए हैं जिन्होंने बचपन से लेकर अंत तक ऊंच-नीच और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष किया और तथागत बुद्ध और गुरु नानक के जीवन आदर्शों को सुनिश्चित बनाने के लिए भारत के संविधान की रचना की। भले ही संविधान की ड्रॉफ्टिंग कमेटी में 7 अन्य सदस्य भी थे परंतु इनके सिवाय ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अन्य सदस्यों ने कोई विशेष रुचि नहीं ली।
जहां बाबा साहिब अम्बेडकर ने जात-पात के विरुद्ध युद्ध लड़ा, वहीं उन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए भारत के सबसे बड़े कृषि उद्योग को लाभदायक बनाने के लिए समय की सरकारों को नहरों को आपस में जोड़ने और अधिक से अधिक डैम बना कर बिजली पैदा करने के लिए प्रेरित किया और स्वतंत्रता पूर्व के दौर में अंग्रेजों से 8 डैम बनवाने में बड़ी भूमिका नभाई।
बाबा साहिब की प्रतिभा के उनके विरोधियों तथा सरकारों ने गुण तो गाए परंतु उनकी ओर ध्यान न देकर समाज और देश का बहुत नुक्सान किया जिनके कारण आज हमें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
बाबा साहिब ने 1940 में ही यह कह दिया था कि पाकिस्तान एक अलग देश बनकर रहेगा, इसलिए समय रहते ही आबादी का तबादला कर लेना चाहिए, उन्होंने आबादी के तबादले के जरिए और ढंग-तरीकों के बारे में भी सरकार और लोगों को लिखित रूप से ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ पुस्तक में आगाह कर दिया था।
बाबा साहिब ने बतौर-ए-प्रधानमंत्री नेहरू की चीन से बढ़ती दोस्ती पर भी सवाल उठाया था जिस पर ध्यान न देने का खामियाजा भारत को चीन द्वारा कई हजार किलोमीटर भूमि हड़पने के रूप में भुगतना पड़ा।
बाबा साहिब द्वारा हर भारतीय को यह संदेश दिया गया कि देश हर व्यक्ति, संस्था, धर्म से ऊपर है। बाबा साहिब अम्बेडकर ने कहा था कि व्यक्ति के साथ-साथ उसके विचार भी तब मर जाते हैं जब विचारों का व्यवहारिक रूप में प्रचार-प्रसार नहीं होता। आज समय की आवश्यकता है कि दुनिया के महान विद्वान और अर्थ शास्त्री के विचारों पर और उनके पदचिन्हों पर चलते हुए समाज और देश को मजबूत किया जाए।
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