130th ambedkar jayanti 2021: जानें, बाबा साहेब अंबेडकर से जुड़ी खास बातें

punjabkesari.in Wednesday, Apr 14, 2021 - 08:25 AM (IST)

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Ambedkar Jayanti 2021: बुद्ध, कबीर, महात्मा फुले जैसी महान विभूतियों के विचारों को आत्मसात कर सामाजिक क्रांति के उद्बोधक एवं पोषक भारत रत्न बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेदकर का जन्म युग और काल की धाराओं को मोड़ने के लिए ही हुआ था। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को समझने के लिए किसी विद्वान को भी वर्षों लग सकते हैं क्योंकि उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू इतने गहरे हैं कि उनकी थाह पाना कठिन है।

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Dr Ambedkar Jayanti around the world in 2021: 14 अप्रैल को पूरा देश उनकी 130वीं जयंती के अवसर पर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके संघर्षमय जीवन से प्रेरणा लेगा। वर्तमान पीढ़ी इस बात से अनभिज्ञ है कि बाबा साहब अपने समकालीन लोगों में सर्वाधिक शिक्षित व्यक्ति थे और शिक्षा उनके दीर्घकालीन संघर्ष तथा कठोर परिश्रम का परिणाम था।

2021 Bhimrao Ramji Ambedkar Jayanti Day: इस महामानव ने समाज में समय के साथ आई अमानवीय कुरीतियों- जैसे छूआछूत, भेदभाव, तिरस्कार आदि को स्वयं भोगा था, परन्तु धैर्य की मूर्ति बाबा साहब ने कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लिया, अपितु समाज को जोड़ने के लिए एवं वंचित वर्ग को समाज में उसकी प्रतिष्ठा दिलवाने के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

The Father of Indian Constitution: वह दलित, शोषित, वंचित समाज को सशक्त, आत्मनिर्भर व सम्मानित जीवन देने के लिए जीवन भर प्रतिबद्ध रहे। बाबा साहब का मानना था कि सामाजिक समरसता का निर्माण करने से ही सामाजिक समानता हो सकती है। उन्होंने 24 नवम्बर, 1947 को दिल्ली में कहा था, ‘‘हम सब भारतीय परस्पर सगे भाई हैं। ऐसी भावना अपेक्षित है। इसे ही बंधुभाव कहा जाता है। उसी का अभाव है। जातियां आपसी द्वेष और ईर्ष्या बढ़ाती हैं। अत: इस अवरोध को दूर करना होगा क्योंकि यदि बंधुभाव ही नहीं रहेगा तो समता और स्वाधीनता सब अस्तित्वहीन हो जाएंगे।’’
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Dr. Babasaheb Ambedkars Life: बाबा साहब ने राष्ट्र निर्माण की जो राह दिखाई थी, उसी पर चल आज हमारी सरकार भारत को पुन: विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित करने का कार्य कर रही है। बाबा साहब का कहना था, ‘‘मैं चाहता हूं कि लोग सर्वप्रथम भारतीय हों व अंत तक भारतीय रहें, भारतीय के अलावा कुछ भी नहीं।’’

Dr Ambedkar Jayanti around the world in 2021: भाषायी आधार पर राज्यों के गठन का विरोध, हिंदी की राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापना, संस्कृत भाषा की शिक्षा और गुणवत्ता, मतपरिवर्तन पर उनके विचार, धर्म की उपयोगिता का विचार, श्रमनीति सुधार, शहरीकरण का महत्व, समान नागरिक संहिता एवं हिन्दू कोड बिल, श्रीमद् भगवद्गीता को प्रदत्त महत्व, महिलाओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता, राष्ट्रीय प्रतिबद्धता, आर्थिक योजनाएं, जल और विद्युत नीति में भूमिका आदि अनेक ऐसे विषय हैं, जिनसे उनकी राष्ट्रीय दृष्टि का बोध होता है।

संविधान निर्माता डॉ. अम्बेदकर के विषय में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा में कहा था, ‘‘स्वतंत्र भारत के संविधान शिल्पी डा. अम्बेदकर ने अपनी बुद्धि, प्रतिभा और योग्यता की हर कीमत चुका कर देश को एक नया संविधान भेंट कर दिया। संसार में ऐसी मानसिक ऊंचाई और शाश्वत प्रतिभा के धनी कर्मठ महापुरुष कभी-कभी ही अवतरित होते हैं।’’

एक ओर वर्षों के अपमान तो दूसरी और करुणा, प्रेम, समता और अहिंसा से ओतप्रोत भारतीय संस्कृति के अविभाज्य अंग बौद्ध मत का अंगीकार कर बाबा साहब ने देश के लिए अपने समर्पण का उत्तम उदाहरण दिया। उनकी जयंती पर मेरा युवा पीढ़ी को विशेष संदेश है कि उनके आदर्शों का पालन केवल विशेष अवसर पर ही न करें, अपितु प्रत्येक क्षण उस राष्ट्रभक्त, मानवतावादी, धर्मप्राण और सात्विक वृति के महापुरुष के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करें।  

 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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