Akshaya Navami 2025: अक्षय नवमी पर करें अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ और जीवन में लाएं सौभाग्य और सफलता
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 07:14 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Akshay Navami: अक्षय नवमी हिन्दू धर्म में एक अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से धन, समृद्धि और सौभाग्य को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। अक्षय नवमी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन किए गए पुण्य और धार्मिक कर्म कभी नष्ट नहीं होते। इस दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। अष्टलक्ष्मी माता धन, स्वास्थ्य, संतान सुख और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा करने से जीवन में स्थायी खुशहाली आती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र
आद्य लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये,
मुनिगण वंदित मोक्ष प्रदायिनी, मंजुल भाषिणी वेदनुते।
पंकजवासिनी देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, आद्य लक्ष्मी परिपालय माम्।।
धान्यलक्ष्मी
असि कलि कल्मष नाशिनी कामिनी, वैदिक रूपिणी वेदमयी,
क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि, मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते।
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।

धैर्यलक्ष्मी
जयवर वर्षिणी वैष्णवी भार्गवी, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्र,
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते।
भवभयहारिणी पापविमोचिनी, साधु जनाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।
गजलक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनी कामिनी, सर्व फलप्रद शास्त्रीय,
रथ गज तुरग पदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणी पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम्।।

संतानलक्ष्मी
अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि, राग विवर्धिनि ज्ञानमये,
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम्।।
विजयलक्ष्मी
जय कमलासिनी सद्गति दायिनी, ज्ञान विकासिनी ज्ञानमयो,
अनुदिनम र्चित कुमकुम धूसर, भूषित वसित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शंकरदेशिक मान्यपदे,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विजयलक्ष्मी परिपालय माम्।।
विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोक विनाशिनी रत्नम,
मणिमय भूषित कर्णभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्।।

