Ahoi Ashtami: संतान की सुरक्षा के लिए स्याहु माला का महत्व, जानें क्यों पहनती हैं माताएं ये पवित्र माला
punjabkesari.in Monday, Oct 13, 2025 - 07:03 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ahoi Ashtami Syahu Mala: अहोई अष्टमी पर स्याहु माला केवल एक आभूषण नहीं, बल्कि मां अहोई की कृपा का प्रतीक है। इसे धारण करने से संतान सुरक्षित, दीर्घायु और स्वस्थ रहती है। यह परंपरा सदियों से मातृत्व के प्रेम, आस्था और शक्ति का सुंदर प्रतीक मानी जाती है।
When is Ahoi Ashtami 2025? अहोई अष्टमी 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी 2025 का व्रत 13 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद आता है और इसे संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं निर्जला उपवास करती हैं और शाम के समय तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं।
What is Syahu Mala? स्याहु माला क्या है?
अहोई अष्टमी व्रत में स्याहु माला का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह माला सामान्यतः चांदी की बनी होती है, जिसमें छोटे-छोटे मोती और एक पवित्र लॉकेट (स्याहु माता का प्रतीक) होता है। इसे लाल कलावे या धागे में पिरोया जाता है और महिलाएं इसे पूजा के समय धारण करती हैं।
Religious significance of Syahu Mala स्याहु माला का धार्मिक महत्व
स्याहु माला को अहोई माता की कृपा प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। इस माला को पहनने वाली महिला के संकल्प को देवी स्वीकार करती हैं। मान्यता है कि इस माला को पहनने से संतान की उम्र लंबी होती है, उन पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
अहोई पूजा में माला को रोली, अक्षत और दूध-भात से पूजने की परंपरा है। पूजा के बाद महिलाएं इस माला को दीपावली तक धारण करती हैं, जिससे शुभ फल मिलता है।
The tradition of wearing Syahu Mala स्याहु माला पहनने की परंपरा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का संबंध मां पार्वती के अहोई रूप से है, जिन्हें संतान की रक्षा करने वाली देवी कहा गया है। इसलिए स्याहु माला को उनके आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। इसे पहनना मातृत्व की शक्ति और प्रेम का प्रतीक है।
माना जाता है कि जो महिलाएं निसंतान हैं या संतान सुख की इच्छा रखती हैं, वे स्याहु माला के साथ यह व्रत करें तो उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
Rules for wearing Syahu Mala स्याहु माला धारण करने के नियम
स्याहु माला को पूजा के समय ही धारण करें।
इसे पहनने से पहले गाय के दूध से शुद्ध करें।
दीपावली तक माला को अपने गले में रखें।
दीपावली के बाद इसे पूजन स्थल में सुरक्षित रखें।