Ahoi Ashtami 2025 Star Rise Time: अहोई अष्टमी पर कब होगा तारों का उदय ? संतान की लंबी उम्र के लिए इस विधि से दें अर्घ्य

punjabkesari.in Monday, Oct 13, 2025 - 04:19 PM (IST)

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Ahoi Ashtami 2025 Puja Vidhi and Star Arghya Ritual for Child’s Long Life: अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और रोग-मुक्त जीवन के लिए अहोई माता की पूजा करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, अहोई माता को अदिति देवी का रूप माना गया है, जो समस्त संतानों की रक्षा करती हैं। जिस प्रकार करवा चौथ व्रत पति की आयु के लिए किया जाता है, उसी प्रकार अहोई अष्टमी व्रत संतान के कल्याण हेतु किया जाता है। अहोई अष्टमी का यह व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि माता के ममता भाव का प्रतीक है। तारों को अर्घ्य देने की यह शास्त्रीय विधि संतान के जीवन में आयु, स्वास्थ्य, और सौभाग्य का संचार करती है। श्रद्धा, शुद्धता और विश्वास, यही इस व्रत की वास्तविक शक्ति हैं।

Ahoi Ashtami

Ahoi Ashtami 2025 Puja Muhurat अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त 
तिथि प्रारंभ:
13 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:24 बजे से
तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2025, पूर्वाह्न 11:09 बजे तक
पूजा व अर्घ्य मुहूर्त: सायंकाल 05:50 पी एम से 06:40 पी एम तक

Ahoi Ashtami

Star Rise Time तारे निकलने का समय : अधिकांश उत्तर भारत के शहरों में लगभग 06:15 पी एम से 06:25 पी एम के बीच

Ahoi Ashtami

Ahoi Ashtami 2025 Star Rise Time अहोई अष्टमी पर तारे निकलने का समय 2025
शहर का नाम    तारे निकलने का समय

नई दिल्ली-     06:17 पी एम
नोएडा-     06:17 पी एम
लखनऊ-     06:03 पी एम
कानपुर-     06:06 पी एम
चंडीगढ़-     06:18 पी एम
पटना-    05:47 पी एम
जम्मू-     06:25 पी एम
देहरादून-     06:13 पी एम
शिमला-     06:16 पी एम
जयपुर-      06:24 पी एम
मुंबई-     06:39 पी एम
रांची-    05:47 PM
कोटा-     06:24 पी एम
बेंगलूरु-    06:23 पी एम

Ahoi Ashtami

अहोई माता पूजा विधि
स्नान और संकल्प:
सूर्योदय से पहले स्नान करें। फिर अहोई माता के समक्ष संकल्प लें, “मैं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए अहोई माता का व्रत कर रही हूं।”

अहोई माता की प्रतिमा या चित्र: दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं या तैयार चित्र स्थापित करें। साथ में सप्तऋषियों के सात बिंदु भी बनाएं जो सात पुत्रों का प्रतीक हैं।

पूजा सामग्री: थाली में अक्षत, फूल, रोली, दीपक, जल का कलश, दूध, मिठाई और सूत रखें।

कथा वाचन: अहोई माता की कथा सुनें या पढ़ें। कथा के माध्यम से माता से संतान की रक्षा की प्रार्थना करें।

Ahoi Ashtami Par Taro Ko Arghya Dene Ki Vidhi अहोई अष्टमी पर तारों को अर्घ्य देने की शास्त्रीय विधि
जब सायंकाल आकाश में पहले तारे दिखाई देने लगें, तब यह विशेष अर्घ्य विधि करें —

अहोई अष्टमी पर अर्घ्य से पूर्व करें स्थान चयन:
घर की छत, आंगन या खुले स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों।
अर्घ्य पात्र तैयार करें: एक तांबे या पीतल के पात्र में जल, अक्षत, थोड़ी सी दूध की बूंदें और लाल फूल मिलाएं।
दीप प्रज्वलित करें: एक मिट्टी का दीपक जलाकर पास रखें। यह दीप अहोई माता और तारागण के साक्षी रूप में प्रतीक है।
तारों की ओर दृष्टि करें: दोनों हाथों में अर्घ्य पात्र लेकर आकाश में पहले सात तारे देखें (सप्तर्षि या दृश्यमान तारे)।

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मंत्र उच्चारण करें: श्रद्धा से निम्न मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें —
ॐ अहोई मातायै नमः। मम पुत्रस्य दीर्घायुष्यम् आरोग्यं च देहि। सर्वदु:खविनाशाय तारागणं साक्षीभूतं करोतु।

अर्घ्य समर्पण: तीन बार अर्घ्य दें और हर बार माता से संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

व्रत समापन: अर्घ्य देने के बाद अहोई माता को प्रणाम करें, परिवार के सदस्यों के कल्याण की कामना करें और कथा समाप्त करके व्रत खोलें।

शास्त्रीय अर्थ
हिन्दू ज्योतिष और पुराणों के अनुसार, तारे देवताओं के प्रतीक माने गए हैं। अहोई अष्टमी पर तारों को जल अर्पित करने से “संतान की जन्मकुंडली में आयु भाव (आठवां भाव)” बलवान होता है। यह क्रिया नक्षत्रों के शुभ प्रभाव को बढ़ाती है और बच्चे के जीवन से अकाल मृत्यु या रोग के योग को कम करती है।

Ahoi Ashtami Ke Upay अहोई अष्टमी विशेष उपाय 
यदि संतान बार-बार बीमार रहती है तो तारों को अर्घ्य देते समय “ओम् अहोई मातायै नमः” का 11 बार जप करें।
सप्तमी की रात को भी दीपदान करें, इससे माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
पूजा के बाद किसी गरीब महिला या बच्चे को दूध व मिठाई दान करें।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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