Ahilyabai holkar story: अपने गुणों के कारण झोपड़ी से निकलकर अहिल्याबाई, ऐसे बनीं इंदौर राजघराने की बहू
punjabkesari.in Wednesday, Jan 08, 2025 - 01:21 PM (IST)
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Ahilyabai holkar story: मनकोजी शिंदे एक साधारण किसान थे। खेती ही उनकी जीविका का मुख्य साधन थी। विवाह के काफी समय बाद उनके घर में एक कन्या ने जन्म लिया। उसका नाम अहिल्याबाई रखा गया। वह बचपन से ही साहसी और धर्मपरायण थीं। एक बार मराठों की सेना औरंगाबाद के चोंट गांव के बाहर मैदान में एकत्र हुई थी, जिसे देखने के लिए बालक-बालिकाओं की भीड़ लगी हुई थी।
अचानक भीड़ को चीरती हुई 9 वर्ष की एक निडर बालिका आगे बढ़ी और सेनापति के सामने जाकर खड़ी हो गई। सेनापति ने उसे नीचे से ऊपर तक देखा। वह सुंदर न थी। रंग-रूप सांवला था। उसके वस्त्र भी ग्रामीण की तरह थे लेकिन उसके मुखमंडल पर आकर्षक आभा झलक रही थी।
सेनापति ने उसे एक बार फिर देखा और अपनी गोद में उठाकर पूछा, “क्या चाहती हो बेटी?”
बालिका ने बिना डरे, मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “तुम्हें देखने आई हूं।” “अच्छा, बताओ मैं कौन हूं?” “मल्हारराव होलकर, मैंने अपने पिता से तुम्हारा नाम सुना है।”
लड़की ने जवाब दिया। “तुम्हारे पिता का नाम क्या है?” “मनकोजी शिंदे। वह इसी गांव के रहने वाले हैं। इस गांव का नाम चोंट है।” “और तुम्हारा नाम?” “अहिल्या।”
अब तक मल्हारराव बच्ची के व्यक्तित्व से इस कदर प्रभावित हो चुके थे कि वहीं पूछ बैठे, “तुम मेरे पुत्र से विवाह करोगी?”
लड़की इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकी। शरमाती हुई वहां से भाग गई और बच्चों की टोली में शामिल हो गई। लेकिन उसने अपने भोलेपन की छाप मल्हारराव के हृदय पर छोड़ दी। बाद में यही बालिका अपने गुणों के कारण झोंपड़े से निकलकर महल में पहुंची और इंदौर राजघराने की बहू बनी।