Agni Puran Katha: इस वजह से सब कुछ जला डालती है अग्नि, जानें इसके पीछे की कथा

punjabkesari.in Friday, Jul 05, 2024 - 09:39 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Agni Puran Katha: पांच तत्वों में से एक अग्नि को बहुत ही विशेष और खास माना जाता है। चाहे फिर वो बड़ी से बड़ी चीज हो या फिर छोटी से छोटी अग्नि सब कुछ राख करने में बिल्कुल भी देर नहीं लगाती है। अग्नि की एक छोटी सी चिंगारी सब कुछ तहस-नहस करने का साहस रखती है। शास्त्रों के अनुसार ऋग्वेद के प्रथम मंडल के प्रधान देवता अग्नि ही हैं। ऋषि-मुनि कोई भी यज्ञ शुरू करने से पहले अग्नि देव की आराधना कर के उनका आवाहन करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है अग्नि देव क्यों और कैसे सब कुछ जलाने का सामर्थ्य रखते हैं।  कथाओं के अनुसार ये कोई शक्ति नहीं बल्कि एक ऋषि द्वारा दिया गया श्राप है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं इसके पीछे की कथा-

PunjabKesari Agni Puran Katha

Due to this reason, Agni Dev got the curse of burning everything to ashes अग्नि देव को इस वजह से मिला सबकुछ जलाकर राख करने का श्राप

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी के पुत्र महर्षि भृगु शाम के समय अपनी कुटिया से निकलकर गंगा तट पर स्नान-ध्यान लगाने के लिए जाने लगे। उसी दौरान पुलोमन नाम के एक राक्षस ने ऋषि को कुटियां से निकलते हुए देख लिया। इसी बात का फायदा उठा कर वो राक्षस अपना रूप बदल कर ऋषि की कुटियां में चला गया। कुटियां के बाहर पहुंचकर उसने आवाज लगाई भिक्षाम देही ! यह सुनकर महाऋषि की पत्नी बाहर आई और साधु भेस वाले राक्षस को प्रणाम किया। इस दौरान ऋषि की पत्नी पुलोमा गर्भ धारण किये हुए थी। इसके बाद उनकी पत्नी ने साधु को अंदर बुलाया और भोजन कराया। 

राक्षस इस कुटियां में इस वजह से आया था क्योंकि बचपन में उस राक्षस का पुलोमा के साथ वाग्दान संस्कार हुआ था। पुलोमा की सुंदरता को देखकर पुलोमन को बहुत ही ज्यादा दुःख हुआ। भोजन करने के बाद वो वहां से बाहर आ गया। कुटिया के बाहर हवन कुंड में अग्नि जल रही थी। पुलोमन ने अग्नि देव को प्रणाम किया और उनसे पूछने लगा, अग्नि देव आपको मेरे प्रश्नों का सत्य उत्तर देना होगा आपको आपके धर्म की सौगंध। 

PunjabKesari Agni Puran Katha

अग्नि देव ने जवाब दिया, “पूछो ”

पुलोमन प्रश्न करते हुए पूछता है कि बचपन में मेरे पिता ने पुलोमा के साथ मेरा विवाह कर दिया था लेकिन युवा होने के पश्चात भृगु ऋषि के साथ इसका विवाह हो गया। अब आप ही इस दुविधा को दूर करें और बताएं ये किनकी पत्नी हैं ?

अग्नि देव ये सवाल सुनकर काफी परेशान हो गए और थोड़े से हिचकिचाए। 

ये देखकर पुलोमन तुरंत बोला अगर आपने बोल दिया की ये मेरी पत्नी है तो में तुरंत यहां से पुलोमा को लेकर चला जाऊंगा और यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो में आपको श्राप दे दूंगा।  

थोड़ी देर बाद अग्नि देव ने उत्तर दिया, '' इस बात को कोई जुठला नहीं सकता कि बचपन में पुलोमा का विवाह तुम्हारे साथ हुआ था लेकिन ये भी सच है कि ये विवाह सिर्फ वाणी के आधार पर था। रही बात महर्षि भृगु की तो उन्होंने विधि-विधान और पूरे रीति-रिवाजों के साथ पुलोमा के साथ विवाह किया है। 

इतना सुनने के बाद पुलोमन अपने क्रोध को शांत नहीं कर पाया और पुलोमा को जबरदस्ती वहां से ले जाने लगा लेकिन उसी दौरान पुलोमा ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। उस बच्चे का तेज इतना था कि पुलोमन उसके तेज से जलने लगा। पुलोमा ये देखकर घबरा गई और रोने लगी। महर्षि भृगु आए और उन्होंने सारी घटना सुनी, इतना सुनने के बाद भी उन्होंने हाथ में जल लेकर अग्नि देव को श्राप दे दिया और कहा,'' अगर तटस्थता ही तुम्हारा व्यक्तित्व है तो में तुम्हें श्राप देता हूं, इसके बाद से तुम सही-गलत देखें बिना हर चीज को जला कर राख कर दोगे। 

Brahma ji ke varadan se prasan hue agni dev  ब्रह्मा जी के वरदान से प्रसन्न हुए अग्निदेव 
इस श्राप के बाद पूरी पृथ्वी पर हाहाकार मच गया। समस्त देवता  ब्रह्मा जी के पास इसका समाधान मांगने पहुंचें। ब्रह्मा जी ने तन अग्नि देव को बुलाया और वरदान दिया कि अभी देवी-देवताओं के भोग से पहले आपके लिए  हिस्सा निकाला जाएगा और तुम्हारे एक स्पर्श से ही सब कुछ स्वच्छ और शुद्ध हो जाएगा। ये सुनकर अग्नि देव बहुत खुश हो गए ।

PunjabKesari Agni Puran Katha


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News