Abhimanyu Mahabharat Katha: कैसे भगवान कृष्ण ने बचाया अभिमन्यु का वीर पुत्र ? जानिए पौराणिक गाथा

punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 07:01 AM (IST)

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Mahabharat Katha: महाभारत का युद्ध आज भी हमारे लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा लेकर आता है। कहा जाता है कि उस युद्ध में हुई हर घटना भविष्य के लिए एक मिसाल की तरह है। जब भी महाभारत की बात होती है या उसकी कहानी सुनाई जाती है, तो सबसे पहले अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु का नाम याद आता है, जिन्होंने अपनी बहादुरी से कुरु वंश के खिलाफ वीरता दिखाई। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अभिमन्यु का निधन चक्रव्यूह के अंदर फंस जाने की वजह से हुआ था क्योंकि चक्रव्यूह से बाहर निकलने का ज्ञान केवल उनके पिता अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के पास था। लेकिन आज हम आपको उस कहानी के बारे में बताएंगे कि कैसे भगवान कृष्ण ने अभिमन्यु के पुत्र की रक्षा की थी। तो चलिए जानते हैं इस पौराणिक कथा के बारे में।

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इस तरह श्री कृष्ण ने अभिमन्यु पुत्र को किया था जीवित

आपको यह भी जानना जरूरी है कि उत्तरा और अभिमन्यु के पुत्र, राजा परीक्षित, पांडवों के परिवार का एकमात्र जीवित वारिस थे। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, युद्ध के समय अश्वत्थामा ने एक शक्तिशाली ब्रह्मास्त्र अस्त्र का प्रयोग करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे, यानी अभिमन्यु के पुत्र, को खत्म करने की कोशिश की थी। लेकिन भगवान कृष्ण ने इस योजना को विफल कर दिया। मुरलीधर ने अपने दिव्य सामर्थ्य का उपयोग कर ब्रह्मास्त्र के प्रहार को निरस्त कर दिया और उस अनजाने शिशु को बचाकर जीवन दिया। इस तरह, भगवान कृष्ण की कृपा से राजा परीक्षित ने जन्म लिया और पांडवों की संतान बनी।

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जानकारी के अनुसार, पांडवों के बाद राजा परीक्षित ने हस्तिनापुर के सिंहासन पर कब्जा किया था। उन्होंने अपने न्यायप्रिय और मजबूत नेतृत्व से राज्य में शांति और समृद्धि का माहौल बनाया। कहा जाता है कि एक श्राप के कारण राजा परीक्षित की मृत्यु एक सांप के डंसने से हुई थी। उनके निधन के बाद ही कलयुग का प्रारंभ माना जाता है, जो वर्तमान युग की शुरुआत थी।

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Content Editor

Prachi Sharma

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