Special Day 17 September 2025: 17 सितंबर को कोर्ट-कचहरी से लेकर नौकरी, शादी-विवाह और कारोबार तक पूरे होंगे सभी रुके हुए काम
punjabkesari.in Sunday, Sep 14, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Special Day 17 September 2025: 17 सितंबर 2025 का दिन बहुत खास रहने वाला है। इस रोज एक नहीं 3 बड़े पर्व आ रहे हैं विश्वकर्मा पूजा, कन्या संक्रांति और इंदिरा एकादशी व्रत का संयोग है। सूर्य अपनी स्वराशि सिंह राशि से निकल कर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। अत: कन्या संक्रांति मनाई जाएगी। वर्तमान समय में पितृ पक्ष चल रहा है। श्राद्धों में आने वाली महत्वपूर्ण इंदिरा एकादशी भी मनाई जाएगी। देव शिल्पकार विश्वकर्मा भगवान की जयंती है। कोर्ट-कचहरी, नौकरी, शादी-विवाह और कारोबार से संबंधित कोई भी समस्या आ रही है अथवा रुके हुए काम पूरे करने की इच्छा है तो 17 सितंबर को करें ये विशेष काम, पूरी होगी आपकी हर आस।
Method of worshiping Virgo Sankranti कन्या संक्रांति पूजा विधि: कन्या संक्रांति सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश का पर्व है, जो ऋतु परिवर्तन, पितृ तर्पण, दान-पुण्य और आगामी शारदीय नवरात्र की पूर्वभूमि बनाता है। यह समय आत्मनिरीक्षण, साधना और स्वास्थ्य पर ध्यान देने का भी होता है। कन्या संक्रांति की प्रातः स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। तिल, चावल, घी और गुड़ का दान करें। पीपल या तुलसी के पास दीपक जलाना भी शुभ होता है। ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा देने से पितरों की तृप्ति होती है।
Indira ekadashi 2025: ज्योतिषियों के अनुसार, पितरों की मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ व्रत इंदिरा एकादशी है। इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितर देव प्रसन्न तो होते ही हैं साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। ये एकादशी पितृपक्ष के दौरान पड़ती है। इस बार ये शुभ तिथि 17 सितंबर दिन बुधवार को है। पितृपक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है, इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पितर भी तृप्त हो जाते हैं। साथ ही पितरों के नाम पर किए गए दान से उनको मोक्ष प्राप्त होता है और व्रत करने वाले को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
Vishwakarma puja method विश्वकर्मा पूजा विधि: विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, जो विशेष रूप से कारीगरों, शिल्पकारों और मजदूरों द्वारा मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने कामकाजी उपकरणों, यंत्रों और मशीनों को साफ कर के उन्हें पूजा के लिए सजाते हैं। पूजा स्थल पर विश्वकर्मा देवता की प्रतिमा या चित्र को स्थापित किया जाता है। फिर, दीपक, फूल, अक्षत (साबुत चावल) और नैवेद्य (भोग) अर्पित किए जाते हैं। विशेष मंत्रों का जाप कर देवता से समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है। पूजा के अंत में, यंत्रों को सम्मानपूर्वक रखा जाता है और मिठाइयों का वितरण होता है।
विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। अब पूजा स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें और पूजा करें। विश्वकर्मा जी को हल्दी, अक्षत, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, दीप और रक्षा सूत्र अर्पित करें। इसके बाद विश्वकर्मा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप करें। अब विश्वकर्मा जी को मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें। अंत में भोग लगाया गया प्रसाद सभी में बांट दें।