जानें कैसे, इन जगहों पर शक्ति पीठ के रूप में स्थापित हुई देवी सती

punjabkesari.in Thursday, Jan 25, 2018 - 03:49 PM (IST)

देवी सती के पूरे विश्व में बहुत से मंदिर है। इन में से 52 शक्ति पीठ कहलाते हैं। मान्यता अनुसार ये शक्ति पीठ मां सती के शरीर के अंगो से प्रकट हुए हैं। अपने पिता द्वारा किए अपने पति भगवान शंकर के अपमान को सहन न कर पाई देवी सती ने हवन कुंड में खुद को भस्म कर लिया था, तब क्रोधित हुए शिव शंकर उन्हें उठा कर जग में विचरने लगे। जहां-जहां भोलेनाथ गुजरे वहां-वहां सती माता के अंग गिरे और शक्ति पीठ स्थापित हो गए। आगे जानें देवी मां को समर्पित 52 शक्ति पीठों में से 13 के बारे में जो देशभर में बेहद प्रसिद्ध हैं


हिंगलाज
हिंगुला या हिंगलाज शक्तिपीठ जो कराची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है, यहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। देवी मां के इस रूप को यहां शक्ति-कोटरी कहते हैं।

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शर्कररे (करवीर)
यह शक्ति पीठ पाकिस्तान में कराची के सुक्कर स्टेशन के निकट स्थित है, जहां देवी की आंख गिरी थी। यहां की शक्ति- मां महिषासुरमर्दिनी कहलाती हैं।


सुगंधा-सुनंदा
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है मां सुगंध, जहां माता की नासिका गिरी थी। यहां देवी मां की शक्ति सुनंदा के नाम से विख्यात है।


कश्मीर-महामाया
भारत के कश्मीर में पहलगांव के निकट माता का कंठ गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया। 

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ज्वालामुखी-सिद्धिदा (अंबिका)
भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी, जिसे ज्वालाजी कहते हैं। यहां मां को सिद्धिदा मां कहते हैं।

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जालंधर-त्रिपुरमालिनी
पंजाब के जालंधर में देवी तलाब जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। यहां मां के भक्त उन्हें मां त्रिपुरमालिनी के नाम से पूजते हैं।

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वैद्यनाथ-जयदुर्गा
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जहां माता का हृदय गिरा था। यहां मां को  जय दुर्गा कहते हैं। 

 

नेपाल-महामाया
गुजरेश्वरी मंदिर नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के निकट स्‍थित है, यहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे। यहां देवी मां को महामाया कहा जाता है।

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मानस-दाक्षायणी
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के निकट एक पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था। यहां मां दाक्षायनी के नाम से जगभर में विख्यात है।


विरजा-विरजाक्षेत्र
भारतीय प्रदेश उड़ीसा के विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी। यहां मां को शक्ति विमला कहा जाता है। 


गंडकी-गंडकी
नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर, जहां माता का मस्तक (गंडस्थल) अर्थात कनपटी गिरी थी। इसकी शक्ति गण्डकी चण्डी है।


बहुला- बहुला (चंडिका)
भारतीय प्रदेश पश्चिम बंगाल से वर्धमान जिला से 8 किमी दूर कटुआ केतुग्राम के निकट अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था। जहां मां को देवी बाहुला कहा जाता है।


उज्जयिनी-मांगल्य चंडिका
भारतीय प्रदेश पश्चिम बंगाल में वर्धमान जिले से 16 किमी गुस्कुर स्टेशन से उज्जय‍िनी नामक स्थान पर माता की दायीं कलाई गिरी थी। इसकी शक्ति मंगल चंद्रिका है।

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