शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाने से पुण्य नहीं बल्कि लगता है पाप

punjabkesari.in Saturday, Apr 02, 2016 - 11:53 AM (IST)

शिव महापुराण के अनुसार शिव एकमात्र ऐसे स्वरुप हैं जो दैवीय शक्ति हैं अर्थात जो निष्कल व सकल दोनों हैं। यही कारण है कि एकमात्र शिव का पूजन लिंग व मूर्ति दोनों रूपों में किया जाता है। सनातन धर्म में देवों के देव महादेव पुकारे जाने वाले शिव मूर्त या सगुण और अमूर्त या निर्गुण रूप में पूजे जाते हैं अर्थात शिव ऐसी दैवीय शक्ति हैं, जिनका पूजन साकार और निराकार दोनों ही रूप में किया जाता है।

शिव ही एक मात्र अजन्मा, अनादि, अनंत है अर्थात उनका कोई आरंभ है न अंत है। न उनका जन्म हुआ है, न वह मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस तरह शिव कोई अवतार न होकर साक्षात परमेश्वर माने जाते हैं।

शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाने से पुण्य नहीं बल्कि लगता है पाप 

* भगवान शिव को तुलसी अर्पित न करें क्योंकि पुराणों में तुलसी को साक्षात लक्ष्मी माना गया है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं इसलिए भगवान विष्णु और उनके अवतारों के अतिरिक्त ये अन्य किसी देवी-देवता को नहीं चढ़ाई जाती।

* शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम, केतकी के फूल, हल्दी और नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। इन चीजों को चढ़ाने से पुण्य नहीं बल्कि लगता है पाप। 

* घर में कभी भी दो शिवलिंग, दो गणेश स्वरूप, तीन दुर्गा मां की प्रतिमा एक साथ न रखें।  इससे घर में अभाग्य आता है।

* शिव पूजन में बिल्वपत्र का प्रथम एवं विशेष स्थान है। शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित करते समय ध्यान रखें की वो कटे-फटे और कीड़ों के खाए न हों। शिवलिंग पर चढ़े बिल्व पत्र को पुन: भगवान शिव पर अर्पित किया जा सकता है लेकिन जल से धोकर अर्पण करना चाहिए। संभव हो तो गंगा जल से धोएं।

* शिवलिंग पर दूध, दही तथा पंचामृत चढ़ाते समय कभी भी कांसे के बर्तन प्रयोग में नहीं लाएं।

* धतूरा और विजया (भांग) एकसाथ ही अर्पण करने चाहिए।

* शिव पुराण में कहा गया है कि शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान आधी परिक्रमा करें फिर वापस लौट कर दूसरी परिक्रमा करें। चारों ओर घूमकर परिक्रमा करने से दोष लगता है।


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