योगियों का जीवन होता है कुछ ऐसा, देखें आप में है कोई ऐसा गुण

punjabkesari.in Thursday, May 05, 2016 - 10:09 AM (IST)

जिसने खुद को जीता है वह शांत और परमात्मा में लीन रहता है, फिर वह सर्दी-गर्मी, सुख-दुख और मान-अपमान में भी एक जैसा ही रहता है। लगातार योग साधना में लीन योगी अपनी इंद्रियों, मन, बुद्धि और अहंकार को जब जीत लेता है, तब उसका अज्ञान नष्ट हो जाता है। ऐसा करने से उसके मन की शंकाओं का नाश होता है और इस पर चढ़ा माया का असर खत्म हो जाता है। वह संसार के प्रति आसक्ति और विकारों के रस से भी मुक्त हो जाता है। इस स्थिति में योगी के मन में शांति ही शांति कायम हो जाती है और वह परमात्मा में लीन हो जाता है।

 
परमात्मा में लीन होने से सर्दी-गर्मी का उस पर असर नहीं होता। ऐसे ही वह सुख-दुख में भी नहीं उलझता। उसके लिए सुख-दुख एक जैसे हो जाते हैं। सुख और दुख मन को फंसाते हैं तथा योगी मन उनसे ऊपर उठ चुका होता है। इसी तरह समान और अपमान में भी वह एक जैसा रहता है। उसे न खुशी होती है और न गम क्योंकि मान व अपमान तो अहंकार से होता है तथा योगी अहंकार से भी ऊपर उठकर आत्म भाव में आ जाता है और हर परिस्थिति में सम रहता है।

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