98 साल... 3300 विमान, 700 युद्धपोत, 20 लाख सैनिक, इस देश की सेना बनी दुनिया की सबसे शक्तिशाली फोर्स
punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 01:02 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: चीन की सेना यानि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अपने 98 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर पूरी दुनिया एक बार फिर चीन की सैन्य ताकत को लेकर चिंतित दिखी। PLA न सिर्फ एशिया की सबसे बड़ी सेना है, बल्कि अब यह दुनिया की सबसे ताकतवर सैन्य ताकतों में भी शामिल हो चुकी है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स 2025 के मुताबिक चीन तीसरे नंबर पर है, लेकिन कई रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो चीन रूस को भी पीछे छोड़ चुका है और अब अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना बन चुका है।
PLA का सफर: 98 साल में फौज से फौलाद तक
1 अगस्त 1927 को बनी PLA (People's Liberation Army) ने 98 सालों में जबरदस्त विस्तार किया है। यह सेना अब न सिर्फ पारंपरिक जंग के लिए तैयार है बल्कि AI, साइबर वॉर और स्पेस वॉरफेयर में भी अग्रणी बन चुकी है। बीजिंग में आयोजित एक कार्यक्रम में चीन के रक्षा मंत्री डोंग जून ने कहा कि PLA दुनिया में स्थायी शांति और साझा सुरक्षा के लिए तैयार है लेकिन साथ ही उन्होंने ताइवान को लेकर सख्त रुख भी दोहराया। इससे चीन की आक्रामक सैन्य नीति साफ झलकती है।
थल सेना: दुनिया की सबसे बड़ी जमीनी ताकत
चीन की PLA ग्राउंड फोर्स के पास करीब 20 से 22 लाख सक्रिय सैनिक हैं, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी थल सेना बनाते हैं। यह सेना आधुनिक युद्ध की सभी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम मानी जाती है। इसके पास लगभग 6800 टैंक हैं, जिनमें से 5440 पूरी तरह से सक्रिय और ऑपरेशनल हैं। इसके अलावा 3490 अन्य बख्तरबंद वाहन और 2750 रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम भी इसकी ताकत को और मजबूत बनाते हैं। चीन लगातार अपनी जमीनी सेना को रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित कर रहा है, जिससे उसकी क्षमताएं पहले से कहीं ज्यादा उन्नत हो गई हैं। भारी-भरकम पारंपरिक बटालियनों की जगह अब तेजी से कार्रवाई करने वाली चुस्त ब्रिगेड फॉर्मेशन को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि सीमावर्ती संघर्ष की स्थिति में तुरंत जवाब दिया जा सके। इस रणनीति से चीन की थल सेना न केवल अधिक गतिशील बनी है बल्कि वह किसी भी सीमाई तनाव में जल्दी और प्रभावशाली हस्तक्षेप करने में सक्षम हो गई है।
वायुसेना: 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट से लैस
चीन की वायुसेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) अब दुनिया की सबसे आधुनिक और तकनीकी रूप से सुसज्जित एयरफोर्स में से एक मानी जाती है। इसके बेड़े में कुल लगभग 3300 सैन्य विमान शामिल हैं, जिनमें अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, हेलिकॉप्टर और विशेष मिशन एयरक्राफ्ट मौजूद हैं। चीन के पास 4.5 जेनरेशन के अत्याधुनिक J-10 फाइटर जेट हैं, वहीं उसने 5वीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट J-20 और J-35 भी विकसित कर लिए हैं, जो उसे हवा में लंबी दूरी तक मारक क्षमता और दुश्मन के रडार से बचने की क्षमता प्रदान करते हैं। इसके अलावा, चीन अब 6वीं पीढ़ी का फाइटर जेट J-36 बनाने में भी जुटा है, जिससे उसकी वायुसेना की ताकत और भी अधिक बढ़ेगी। हालांकि चीन की एयरफोर्स अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है, फिर भी तिब्बत और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में चीन को लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन क्षेत्रों में सीमित एयरबेस की वजह से भारतीय वायुसेना को रणनीतिक बढ़त हासिल है, जो किसी भी संकट की स्थिति में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
नौसेना: जहाजों की संख्या में अमेरिका से आगे
चीन की नौसेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) अब जहाजों की कुल संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुकी है। इसके पास लगभग 730 युद्धपोत हैं, जो विभिन्न प्रकार की समुद्री अभियानों को अंजाम देने में सक्षम हैं। चीन के पास इस समय 3 ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर हैं और 3 अन्य का निर्माण तेजी से चल रहा है, जिससे उसकी समुद्री शक्ति और भी अधिक बढ़ेगी। इसके अलावा, चीन के पास 65 पनडुब्बियां हैं, जिनमें से 12 परमाणु ऊर्जा से संचालित होती हैं, जो इसे लंबी दूरी तक निगरानी और हमला करने की क्षमता देती हैं। PLAN के बेड़े में दर्जनों डेस्ट्रॉयर, फ्रिगेट और मिसाइल बोट शामिल हैं जो समुद्र में आक्रामक सैन्य ताकत का परिचय देते हैं। आज चीन एक ब्लू वॉटर नेवी बन चुका है, यानी वह केवल तटीय क्षेत्रों तक सीमित नहीं, बल्कि हिंद महासागर से लेकर दक्षिण चीन सागर तक सैन्य कार्रवाई करने में पूरी तरह सक्षम है। इससे चीन की सामरिक पहुंच वैश्विक स्तर पर फैल गई है और समुद्री मामलों में उसकी भूमिका और प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।
परमाणु ताकत और रक्षा बजट
चीन अब न्यूक्लियर ट्रायड क्षमता वाला देश बन चुका है, जिसका अर्थ है कि वह परमाणु हमला जमीन, हवा और समुद्र—तीनों माध्यमों से कर सकता है। यह क्षमता केवल कुछ ही देशों के पास होती है और इससे चीन की सामरिक स्थिति बेहद मजबूत हो गई है। चीन का रक्षा बजट लगभग 267 अरब डॉलर माना जाता है, जबकि कुछ अनुमानों में यह आंकड़ा 314 अरब डॉलर से भी अधिक बताया गया है। इसके मुकाबले भारत का रक्षा बजट लगभग 75 अरब डॉलर है, जो दर्शाता है कि चीन अपने सैन्य खर्च में भारत से करीब चार गुना आगे है। यह अंतर केवल बजट का नहीं बल्कि तकनीक, विस्तार और रणनीतिक तैयारी के स्तर पर भी दिखाई देता है, जिससे चीन वैश्विक शक्ति संतुलन में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
नई तकनीकों से लैस आधुनिक PLA
PLA अब एक ऐसी आधुनिक सेना बन चुकी है जो साइबर युद्ध में दक्षता हासिल कर चुकी है और स्पेस डिफेंस टेक्नोलॉजी के विकास में भी तेजी से आगे बढ़ रही है। यह सेना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित हथियारों और ड्रोन का निर्माण कर रही है, जिससे उसकी लड़ाकू क्षमताएं और बढ़ गई हैं। इसके अलावा, PLA अपने इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम को निरंतर अपग्रेड कर रही है ताकि किसी भी तरह की इलेक्ट्रॉनिक बाधाओं या हमलों का प्रभावी मुकाबला किया जा सके। चीन की यह सेना केवल क्षेत्रीय प्रभुत्व हासिल करने के उद्देश्य से नहीं बल्कि एक वैश्विक सैन्य शक्ति बनने की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रही है।
चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से कौन डरा?
चीन की इस सैन्य वृद्धि से ताइवान, जापान, वियतनाम और अमेरिका तक चिंतित हैं। ताइवान के खिलाफ बार-बार दी जा रही सैन्य धमकियों और समुद्री विस्तारवाद से कई देश अपने रक्षा गठबंधन और सुरक्षा रणनीति पर दोबारा सोच रहे हैं।