वायु सेना के बेड़े में शामिल किया गया 'चिनूक' हेलीकॉप्टर
punjabkesari.in Tuesday, Mar 26, 2019 - 12:07 PM (IST)
चंडीगढ़(लल्लन) : भारतीय वायुसेना के बेड़े में अमरीकी कम्पनी बोइंग द्वारा बनाए गए 4 चिनूक हैवीलिफ्ट हैलीकॉप्टर शामिल हो गए हैं। सामरिक दृष्टि से पाकिस्तान की अब खैर नहीं है। यह हैलीकाप्टर भारी मशीनरी, तोप और बख्तरबंद गाडिय़ां ट्रांसपोर्ट कर सकता है।
इसमें हवा में ही तेल भरा जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि यह न केवल दिन में बल्कि रात में भी सैन्य कार्रवाई कर सकता है। सोमवार को 4 हैलीकॉप्टर चंडीगढ़ स्थित वायुसेना स्टेशन पहुंचे। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ भी पहुंचे।
पायलट्स और इंजीनियर्स ने अमरीका में ली थी ट्रेनिंग :
चिनूक हैलीकॉप्टर उड़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से भारतीय वायुसेना के 24 पायलट्स को ट्रेनिंग लेने के लिए अमरीका भेजा गया था। विंग कमांडर अनुपम यादव ने बताया कि अमरीका में 12 पायलट्स और 12 एयरक्राफ्ट इंजीनियरों को 4 महीने की ट्रेनिंग दी गई।
बोइंग कंपनी की तरफ से सभी पायलट्स को 30 से 35 घंटे की ट्रेनिंग दी जाती थी। इसके बाद अन्य पायलट्स को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। एक हैलीकॉप्टर में 2 पायलट्स और एक इंजीनियर रहेगा।
इनमें आएगा काम :
सीएच-47 चिनूक एक एडवांस्ड मल्टी मिशन हैलीकॉप्टर है, जो भारतीय वायुसेना को बेजोड़ सामरिक महत्व की हैवी लिफ्ट क्षमता प्रदान करता है। यह मानवीय सहायता और लड़ाकू भूमिका में काम आएगा।
कठिन रास्ते और बार्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजैक्ट को बनाने में भी यह अहम योगदान दे सकता है। गौरतलब है कि नॉर्थ ईस्ट में कई रोड प्रोजैक्ट सालों से अटके पड़े हैं और उन्हें पूरा करने के लिए बार्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन लंबे समय से एक हैवी लिफ्ट चॉपर का इंतजार कर रहा है जो इन घनी घाटियों में सामग्री और जरूरी मशीनों की आवाजाही कर सके।
1957 में हुई थी शुरूआत :
बोइंग सी.एच.-47 चिनूक हैलीकॉप्टर डबल इंजन वाला है। इसकी शुरूआत 1957 में हुई थी। 1962 में इसको सेना में शामिल कर लिया गया। इसे बोइंग रोटरक्राफ्ट सिस्टम ने बनाया है। इसका नाम अमरीकी मूल के निवासी चिनूक से लिया गया है।
लादेन को मारने में हुआ था इसका इस्तेमाल :
इस हैलीकॉप्टर का इस्तेमाल लादेन को मारने में किया गया था। ईराक और वियतनाम युद्ध में भी इसका काफी इस्तेमाल हुआ था। बोइंग ने इसमें वक्त के साथ कई बदलाव किए हैं।