आर्थिक मंदीः महंगाई में भी लिपस्टिक खरीदने से गुरेज नहीं कर रही हैं महिलाएं

punjabkesari.in Thursday, Aug 29, 2019 - 01:58 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश में आर्थिक मंदी चिंता का विषय बना हुआ है। आर्थिक मंदी की मार ऑटो उद्योग से लेकर बिस्किट कंपनियों तक पड़ी है। एक तरफ भारत में इस समय उपभोक्ता गाड़ी या टिकाऊ उपभोग की वस्तुओं की खरीदारी को टाल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर लिपस्टिक जैसे छोटे सामान तेजी से खरीद रहे हैं। मंदी के बावजूद लैकमे और लॉरियल जैसे लिपस्टिक के बड़े ब्रांड्स की बिक्री डबल डिजिट की गति से बढ़ी है। साथ ही आर्थिक मंदी ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ की ओर भी इशारा कर रही है।
PunjabKesari
कॉस्मेटिक्स की डिमांड बढ़ी
लैकमे ऑनर एचयूएल की वाइस प्रेसिडेंट (स्किनकेयर एंड कलर्स) प्रभा नरसिम्हन ने कहा 'कलर कॉस्मेटिक सुस्ती से अछूत है, इसके पीछे एक कारण यह भी है कि कंज्यूमर उपयोग अभी भी कम है। जैसे-जैसे महिलाएं ब्रैंड्स के प्रति जागरूक हो रही हैं, वे अपग्रेड होना चाहती हैं। कई ब्रैंड्स कुछ अधिक कीमत पर प्रीमियम प्रॉडक्ट्स उपलब्ध करा रहे हैं।' कॉस्मेटिक्स की डिमांड बढ़ने की वजह से ब्रैंड्स हर लॉन्च में 15-25 शेड्स उतार रहे हैं। लैकमे की एक मैट की लिपस्टिक की प्रीमियम रेंज 800 रुपए है।
PunjabKesari
ब्यूटी प्रोडक्ट्स के प्रति जागरूक महिलाएं
लॉरियल इंडिया कंपनी के डायरेक्टर (कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स डिविजन) असीम कौशिक ने कहा 'कलर कॉस्मेटिक की बिक्री डबल डिजिट में बढ़ी है। महिलाओं में ब्रान्डेड ब्यूटी प्रोडक्ट्स के प्रति जागरूकता बढ़ी है। आज हर महिला के पास लिपस्टिक और कॉम्पैक्ट पाउडर आसानी से  मिल जाएगा।' दिलचस्प बात यह है कि लॉरियल की 35-40 फीसदी बिक्री कलर कॉस्मेटिक्स में होती है। लॉरियल इंडिया मैबलिन के 'क्रिमी मैट' लिपस्टिक और पाउडर की कीमत 299 रुपए है। वहीं ब्यूटी रिटेलर नायका के मुताबिक, ग्राहक मेकअप पर लगातार खर्च कर रहे हैं। नयका का 1,000 मेकअप ब्रांड्स हैं। नयका की वृद्धि 2018-19 में 115 फीसदी रही।
PunjabKesari
क्या है ‘लिपस्टिक इंडेक्स’
आर्थिक मंदी ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ की ओर भी इशारा कर रही है। ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले ‘एस्टी लॉडर’ के पूर्व चेयरमैन लियोनार्ड लॉडर द्वारा किया गया था। ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ का इस्तेमाल 2000 के दशक की शुरुआत में सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री में वृद्धि का वर्णन करने के लिए किया गया था। साल 2000 में आई आर्थिक मंदी के दौरान लॉडर ने इस शब्द का इस्तेमाल किया था। इस शब्द को इस्तेमाल करने के पीछे का मकसद आर्थिक मंदी के दौरान कॉस्मेटिक बिक्री में हुई वृद्धि को समझना था। अगर इसको आज भारत के संदर्भ में समझें तो इसका मतलब ये हुआ कि आर्थिक मंदी के दौर में जहां लोग बड़ी चीजें जैसे गाड़ी खरीदने की बात को टाल रहे हैं तो वहीं लिपस्टिक जैसी छोटे सामान की बिक्री काफी बढ़ गई है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Supreet Kaur

Recommended News

Related News