विलफुल डिफॉल्टर्स ने इन बड़े बैंकों को लगाया 88,435 करोड़ रुपए का चूना, जानें टॉप 3 लोन डिफॉल्टर्स के नाम

punjabkesari.in Tuesday, Mar 21, 2023 - 02:05 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः विलफुल डिफॉल्टर्स पर प्रमुख निजी और सरकारी बैंकों का 88,435 करोड़ रुपए बकाया है। वहीं पिछले साल यह आंकड़ा 75,294 रुपए का ही था। एक रिपोर्ट के मुताबिक इन विलफुल डिफॉल्टर्स ने देश के कई सरकारी और प्राइवेट सेक्टर दोनों के बैंकों को चूना लगाया है। इसमें पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक जैसे कई सरकारी और प्राइवेट बैंक शामिल हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े

बैंकों और क्रेडिट सूचना कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल के मुताबिक दिसंबर 2022 तक विलफुल डिफॉल्टर्स पर पीएनबी का 38,712 करोड़ रुपए बकाया था। ये बकाया दिसंबर 2021 में 37,055 करोड़ रुपए था।
वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा के पास जनवरी 2023 तक विलफुल डिफॉल्टर्स का बकाया 38,009 करोड़ रुपए बकाया है, पिछले साल यह आंकड़ा 24,404 करोड़ रुपए का था। 
वहीं प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक का फरवरी 2023 तक विलफुल डिफॉल्टर्स पर 11,714 करोड़ रुपए बकाया था, जो मार्च 2022 में 9,007 करोड़ रुपए था।

टॉप विलफुल डिफॉल्टर

दिसंबर 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक के डेटा से पता चला है कि 31 मार्च, 2022 तक देश के शीर्ष 50 विलफुल डिफॉल्टर्स पर भारतीय बैंकों का 92,570 करोड़ रुपए बकाया है।

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने संसद में बताया कि गीतांजलि जेम्स लिमिटेड इस सूची में सबसे ऊपर है। इसने 7,848 करोड़ रुपए का ऋण नहीं चुकाया है। इसके बाद एरा इंफ्रा (Era Infra) का नाम है जिसने 5,879 करोड़ रुपए नहीं चुकाया है। तीसरे स्थान पर री एग्रो (Rei Agro) है जिस पर बैंकों का 4,803 करोड़ रुपए बकाया है।

आरबीआई के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स को बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा कोई अतिरिक्त सुविधाएं मंजूर नहीं की जाती हैं। उनकी यूनिट्स को पांच साल के लिए नए उद्यम शुरू करने से रोक दिया जाता है। विलफुल डिफॉल्टर्स और प्रोमोटर्स या डायरेक्टर्स के रूप में विलफुल डिफॉल्टर्स कंपनियों को सेबी रेगुलेशन 2016 के तहत शेयरों के अधिग्रहण और टेकओवर के जरिये धन जुटाने के लिए कैपिटल मार्केट में रोक लगाई गई है।

भारत में वसूली प्रक्रिया धीमी

आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक चंदन सिन्हा ने कहा “बैंक के साथ एक डिफॉल्ट के मामले वसूली प्रक्रिया भारत में धीमी है। आईबीसी के माध्यम से एक त्वरित निवारण की आवश्यकता है। जिससे की ऋणदाता विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ त्वरित कानूनी उपाय का उपयोग कर सकें।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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