गलती से हो या जानबूझकर, आय छिपाने पर पड़ेगा भारी जुर्माना, हो सकती है 7 साल तक की सजा

punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 10:50 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः अगर आप आय छिपाते हैं, टैक्स में गलत जानकारी देते हैं या झूठे छूट का दावा करते हैं, तो अब सतर्क हो जाइए। आयकर विभाग के पास इन गड़बड़ियों को पकड़ने के लिए न केवल हाई-टेक सिस्टम है, बल्कि सख्त कानून और कड़े दंड भी हैं। चाहे गलती अनजाने में हुई हो या जानबूझकर, कानून सबके लिए एक जैसा है।

कौन-कौन से मामलों में लगता है जुर्माना या सजा?

  • चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना और ClearTax की टैक्स विशेषज्ञ शेफाली मुंद्रा ने बताया कि आयकर अधिनियम के तहत अलग-अलग तरह की चूकों पर अलग-अलग सज़ाएं और जुर्माने लगाए जाते हैं:
  • कम आय दिखाना (सेक्शन 270A): घोषित आय से ज्यादा असल आय पाए जाने पर उस पर बन रहे टैक्स का 50% जुर्माना।
  • जानबूझकर गलत जानकारी देना (सेक्शन 270A): फर्जी बिल या झूठे दावे करने पर 200% तक जुर्माना।
  • पुराने मामलों में आय छिपाना (सेक्शन 271(1)(c)): बचाए गए टैक्स का 100% से 300% तक जुर्माना।
  • अघोषित निवेश (सेक्शन 271AAC): 60% टैक्स के साथ-साथ 10% अतिरिक्त पेनल्टी, सर्चार्ज और सेस अलग।
  • जानबूझकर टैक्स चोरी (सेक्शन 276C): ₹25 लाख से अधिक टैक्स चोरी साबित होने पर 3 महीने से 7 साल तक की जेल हो सकती है।
  • इसके अलावा धारा 234A, 234B और 234C के तहत लेट रिटर्न या अग्रिम कर समय पर न भरने पर ब्याज दंड भी लगता है।

आय छिपाने का कैसे पता चलता है?

अब विभाग केवल ऑडिट या रिटर्न तक सीमित नहीं है। आज विभाग कई डिजिटल स्रोतों से डेटा इकट्ठा करता है:

  • AIS, फॉर्म 26AS, TDS फाइलिंग, GST रिटर्न, बैंक और म्युचुअल फंड डेटा
  • प्रॉपर्टी और विदेशी निवेश की जानकारी
  • AI आधारित रिस्क एनालिसिस और व्यवहारिक पैटर्न की मदद से गड़बड़ियों की पहचान

अगर आपकी दी गई जानकारी और थर्ड पार्टी डेटा में अंतर पाया गया, तो मामला तुरंत जांच के दायरे में आ सकता है।

क्या गलती सुधारने पर राहत मिल सकती है?

हां, लेकिन शर्तें हैं:

  • यदि विभाग के पकड़ में आने से पहले संशोधित (धारा 139(5)) या अपडेटेड रिटर्न (धारा 139(8A)) भर दिया गया हो और टैक्स-ब्याज चुका दिया गया हो, तो पेनल्टी नहीं लगती।
  • धारा 270AA के तहत भी राहत मिल सकती है बशर्ते टैक्स भर दिया गया हो और अपील न की हो।
  • कोर्ट ने कई मामलों में ईमानदार गलती या वाजिब कारण को भी स्वीकार किया है (धारा 273B)।

फेसलेस और AI आधारित असेसमेंट कैसे काम करता है?

अब मामलों का निपटारा डिजिटल तरीके से होता है। फेसलेस असेसमेंट (धारा 144B) के तहत करदाता और विभाग का सीधा संपर्क नहीं होता, जिससे निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहती है।

AI और मशीन लर्निंग मॉडल टैक्स डेटा, खर्च की प्रवृत्ति और अन्य स्रोतों से मिले डाटा का विश्लेषण कर संदिग्ध रिटर्न्स की पहचान करते हैं — और यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटेड और निगरानी में होती है।

 


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Content Writer

jyoti choudhary

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