भारत 20 लाख टन गेहूं विदेश से मंगा सकता है

punjabkesari.in Monday, Sep 26, 2016 - 06:46 PM (IST)

नई दिल्ली: देश में गेहूं की आपूर्ति बढाने के लिए चालू वित्त वर्ष में मिलों द्वारा 20 लाख टन तक गेहूं का आयात किया जा सकता है। सरकार ने हाल में गेहूं पर आयात शुल्क कम करने निर्णय किया है। यहां रोलर आटा मिलों के संगठन आरएफएमएफआई के वार्षिक सम्मेलन (एजीएम) के मौके पर केंद्रीय खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव प्रशांत द्विवेदी ने कहा, "आने वाले महीनों में आयात बढ़ेगा और इससे इसकी उपलब्धता पर दवाब कम होगा।" उन्होंने कहा कि सरकार आटा मिलों जैसे थोक उपभोक्ताआें को एफ.सी.आई. के गेहूं की बिक्री के सिलसिले को नहीं खत्म करेगी। चालू वित्तवर्ष में आयात किए जाने वाली मात्रा की संभावना के बारे में पूछने पर द्विवेदी ने कोई आंकड़ा नहीं दिया।  

हालांकि उद्योग जगत के कारोबारियों ने अनुमान व्यक्त किया कि आयात शुल्क में कटौती के कारण वित्तवर्ष 2016-17 में विदेशों से आयातित गेहूं की मात्रा 20 लाख टन तक हो जाएगी। आरएफएमएफआई के पूर्व अध्यक्ष एम के दत्ता राज ने कहा कि पहले से ही आस्ट्रेलिया, उक्रेन, फ्रांस और रूस से करीब 6,00,000 टन गेहूं का आयात किया जा चुका है जबकि 4,00,000-5,00,000 टन गेहूं का आयात होने वाला है। उन्होंने कहा, "कुल गेहूं का आयात इस वर्ष 20 लाख टन रहने की उम्मीद है।" उन्होंने कहा कि ज्यादातर गेहूं आयात दक्षिण भारत की आटा मिलों द्वारा किया जा रहा है। अब शुल्क में कटौती किए जाने के साथ महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की आटा मिलों का आयात फायदे का हो सकता है। उन्होंने कहा कि शुल्क में कटौती के बाद 4 मिलें बड़ी मात्रा में सफेद गेहूं का आयात कर रही हैं और बैंगलूर में डिलीवरी किए जाने वाले इस गेहूं की लागत 19.50 रुपए प्रति किलो बैठेगी जबकि पहले यह लागत 23 रुपए प्रति किलो की आती थी।  

पिछले सप्ताह सरकार ने गेहूं पर आयात शुल्क को फरवरी 2017 तक के लिए 25 प्रतिशत से कम कर 10 प्रतिशत कर दिया। देश का गेहूं उत्पादन 2015-16 के विपणन वर्ष (अप्रैल से मार्च) में 9.35 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि उद्योग जगत के कारोबारियों का अनुमान इससे 50 लाख टन कम है। अधिक उत्पादन के अनुमान के बावजूद सरकारी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने विपणन वर्ष 2016-17 (अप्रैल से मार्च) के लिए 3.05 करोड़ टन के तय किए गए लक्ष्य के मुकाबले केवल 2.29 करोड़ टन की ही खरीद की है। अधिकांश खरीद अप्रैल से जून के दौरान की गई।


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