विदेशी खाते रखने वाले भारतीयों पर अब कसेगा शिकंजा

punjabkesari.in Thursday, Oct 12, 2017 - 11:25 AM (IST)

नई दिल्लीः विदेश में बैंक खाते रखने वाले भारतीयों पर जल्द ही शिकंजा कसने जा रहा है। दरअसल विदेशी फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस द्वारा विदेशों में बैंक खाता रखने वालों लोगों को ईमेल और पत्र भेजे जा रहे हैं जिसमें क्रिसमस से पहले अपना 'टैक्स रेजिडेंसी स्टेटस' बताने के लिए कहा गया है। ईमेल में यह भी कहा गया है कि अगर क्रिसमस से पहले खाता धारक एेसा नहीं करेंगे तो बैंक के पास खाता धारक की जो भी जानकारी होगी उसे भारत सरकार को दे दिया जाएगा।

खाता धारकों की बढ़ी परेशानी
विदेशी बैंकों द्वारा जारी किए गए इस फरमान के बाद खाताधारक परेशानी में आ गए हैं। उनका इस बात का डर सता रहा है कि अगर उन्होंने सवालों के जवाब दिए तो भारत का आयकर विभाग इसका फायदा उठाकर कई सवाल दाग देगा। टैक्स हेवंस में बैंक खाते खोलने वाले प्रवासी भारतीयों को अब अपने मौजूदा टैक्स रेजिडेंसी स्टेटस का सबूत देना होगा। इसके विपरित जिन भारतीयों ने अपने खाते 31 दिसंबर 2015 के पहले बंद कर दिए थे वो इस कार्रवाई से बच जाएंगे। बैंक खाताधारक के नाम, पता, जन्म तिथि के अलावा अकाउंट बैलेंस, ग्रॉस इंट्रेस्ट अमाउंट, डिविडेंड और अकाउंट में जमा हुई दूसरी इनकम के साथ फाइनैंशल अकाउंट में सेल या रिडेम्प्शन से आई रकम की जानकारी साझा कर सकते हैं।

जानें क्या है टैक्स रेसिडेंसी
टैक्स रेसिडेंसी ऐसे लोगों या कंपनियों पर लागू होता है जिनका भारत और विदेशों में आना-जाना लगा रहता है। टैक्स रेसिडेंसी इस आधार पर तय होता है कि उस शख्स ने भारत में कितने दिन बिताए। यदि कोई व्यक्ति वित्त वर्ष में 182 या इससे अधिक दिनों तक भारत में रहा है तो उसे भारत का नागरिक माना जाता है और फिर टैक्स वसूला जाता है। यह व्यवस्था खासतौर पर उन लोगों या कंपनियों के लिए होती है, जो भारत और विदेशों में काम या बिजनेस करते हैं। हालांकि यह दायरा अलग-अलग तरह की कंपनियों के लिए अलग-अलग है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News