Second Hand Car Market: सेकेंड हैंड कारों से टूट रहा भरोसा! नई रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 12:59 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः कभी सस्ती कीमत, जल्दी डिलीवरी और 'असली सौदे' के नाम पर सेकेंड हैंड कार बाजार ने भारत के ऑटो सेक्टर में तेजी से पैर जमाए थे। लेकिन अब लोगों का भरोसा इस बाजार से हटता नजर आ रहा है। एक नई रिपोर्ट बताती है कि खरीदार अब पुरानी कारों से दूरी बना रहे हैं और नई कार को तरजीह दे रहे हैं।
Park+ Research Labs द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया है कि हर 10 में से 8 लोग अब सेकेंड हैंड कार नहीं खरीदना चाहते। इस रिपोर्ट में देशभर के 9,000 से अधिक पहली बार कार खरीदने वालों से बातचीत की गई।
रिपोर्ट में सामने आए कुछ अहम बिंदु:
- 77% लोगों ने नई कार खरीदने का फैसला किया।
- 81% को लगा कि सेकेंड हैंड कारों की कीमतें बेवजह ज्यादा हैं।
- 65% लोग दोस्तों के अनुभव और ऑनलाइन निगेटिव रिव्यू की वजह से पीछे हट गए।
- 73% ने लोकल डीलरों को बड़ी ऑनलाइन कार कंपनियों से ज्यादा भरोसेमंद माना।
लोकल डीलर पर बढ़ा भरोसा, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कम
खास बात यह रही कि लोगों ने बड़ी डिजिटल कार कंपनियों की बजाय स्थानीय डीलरों पर अधिक भरोसा जताया। स्थानीय डीलरों से लोगों को न सिर्फ व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस होता है, बल्कि वहां मोलभाव करने का विकल्प भी खुला रहता है। वहीं दूसरी तरफ, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा कम होता जा रहा है, जहां वादे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन डिलीवरी और सर्विस में अक्सर ग्राहकों को निराशा हाथ लगती है।
सेकेंड हैंड कारों को लेकर लोगों की सबसे बड़ी चिंताएं
इस रिपोर्ट में सामने आया कि पुरानी कार खरीदने को लेकर कई लोगों को कानूनी परेशानियों और आरसी ट्रांसफर में देरी का भी डर रहता है। कुछ ने तो केवल ऑनलाइन खराब रिव्यू पढ़कर ही सेकेंड हैंड कार खरीदने का इरादा छोड़ दिया।
दिलचस्प बात यह है कि भले ही सेकेंड हैंड कारों की ज्यादातर डील्स ₹10 लाख से कम की होती हैं, फिर भी लोगों को यह महंगी लगती हैं। कई लोगों का कहना है कि पुरानी कारों की कीमतें अब नई कारों के बराबर या उससे भी ज्यादा हो गई हैं। साथ ही, नई कारों पर मिलने वाले आसान फाइनेंस विकल्प और बेहतर आफ्टर-सेल्स सर्विस ने खरीदारों का रुख नई कार की ओर मोड़ दिया है।
क्या है ग्राहकों की मांग?
ग्राहकों की अब यह स्पष्ट मांग है कि सेकेंड हैंड कार बाजार में पारदर्शिता लाई जाए, आरसी ट्रांसफर की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाया जाए और प्राइसिंग को लेकर कोई नियामक व्यवस्था की जाए।
Park+ Research Labs का कहना है कि यह सर्वे ऑटो सेक्टर में बड़े बदलाव की जरूरत की ओर इशारा करता है। सेकेंड हैंड कार बाजार को फिर से मजबूत करना है, तो flashy विज्ञापनों से आगे बढ़कर एक भरोसेमंद और झंझट-रहित सिस्टम बनाना होगा, जहां ग्राहक पूरी जानकारी और भरोसे के साथ अपनी पसंद की कार खरीद सकें।