AC कोच में करने जा रहे हैं सफर, तो जरुर पढ़ें यह खबर

punjabkesari.in Saturday, Jul 29, 2017 - 10:13 AM (IST)

नई दिल्लीः अगली बार जब आप रेलवे के वातानुकूलित (एसी) डिब्बे में सफर करें तो अपने लिए कंबल का इंतजाम कर लें क्योंकि हो सकता है कि चादर-तकिए के साथ आपको कंबल न मिले। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सी.ए.जी.) ने कंबलों की ठीक से सफाई नहीं होने के कारण हाल ही में रेलवे की खिंचाई की थी। इसीलिए रेलवे एसी डिब्बों से कंबल हटाने की योजना बना रहा है क्योंकि कंबलों को बार-बार धुलवाना या ड्राईक्लीन कराना उसके लिए संभव नहीं है।
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कंबल-बिस्तर की धुलाई पर आता है ज्यादा खर्च
मुसाफिरों को ध्यान में रखकर रेल मंत्रालय एसी डिब्बों का तापमान बढ़ाकर 24 डिग्री करने के बारे में सोच रहा है। अभी एसी कोच का तापमान 19 डिग्री ही रखा जाता है। इसे बढ़ा दिया गया तो यात्रियों को कंबल की जरूरत नहीं होगी। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, 'कंबल-बिस्तर की धुलाई बहुत खर्चीली है। रेलवे को बिस्तर के एक सेट की धुलाई के लिए 55 रुपए देने पड़ते हैं, जबकि मुसाफिरों से केवल 22 रुपए वसूले जाते हैं। इसीलिए कंबल हटाना वित्तीय रूप से मुनासिब होगा।'

CAG ने की थी रेलवे की खिंचाई
सी.ए.जी. को रेलवे की साफ-सफाई में कई खामियां मिलीं। उसने कहा है कि चादरों और कंबलों की सफाई रेलवे के पैमानों पर भी खरी नहीं उतरती। रेलवे के दिशानिर्देश के मुताबिक कंबल दो महीने में कम से कम एक बार धुलने चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। अधिकारी ने बताया, 'हमने बिस्तर को ड्राईक्लीन कराने के लिए खादी इंडिया से बात की, लेकिन उसने एक धुलाई के 110 रुपए मांगे। इसीलिए हम कंबल को पूरी तरह बंद करने के बारे में सोच रहे हैं।' सी.ए.जी. की रिपोर्ट में कहा गया कि 9 मंडलों के 14 चुनिंदा डिपो में एक तय अवधि के भीतर कंबल नहीं धुले। चादरों में भी ऐसी ही ढिलाई देखी गई।
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रेलवे के पास नहीं है पर्याप्त लॉन्ड्री
रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे की लॉन्ड्री में पर्याप्त क्षमता नहीं है, इसीलिए उसे ठेके पर काम कराना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है, '30 यांत्रिक लाउंड्रियों में से 26 को संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से जरूरी मंजूरियां नहीं मिली हैं। साथ ही 15 में उत्प्रवाह शोधन संयंत्र भी नहीं लगाए गए हैं।' रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पिछले साल यात्रियों के लिए डिस्पोजेबल बिस्तर की शुरुआत की थी, लेकिन यह अभी पूरी तरह से लागू नहीं है। 


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