फीस लेने के बाद भी नहीं बिठाया परीक्षा में, यूनिवर्सिटी देगी 5.05 लाख हर्जाना

punjabkesari.in Monday, Mar 05, 2018 - 10:14 AM (IST)

दुर्गः एक छात्र ने एम.बी.ए. अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठने के लिए प्रवेश लिया। प्रवेश के साथ परीक्षा शुल्क भी जमा किया पर यूनिवर्सिटी ने उसे परीक्षा में बैठने के लिए प्रवेश पत्र जारी नहीं किया। फोरम ने इस संबंधी यूनिवर्सिटी को दोषी पाते हुए उसे 5.05 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश सुनाया।

क्या है मामला
सैक्टर-7 भिलाई निवासी छात्र दिनेश कुमार (30) ने बताया कि उसने नेहरू नगर स्थित समन्वयक के कार्यालय में वर्ष 2013 में पी.जी. डी.आर.डी. के तहत एम.बी.ए. अंतिम वर्ष में प्रवेश लिया था। 1 अप्रैल, 2014 को प्रवेश शुल्क, ट्यूशन फीस व परीक्षा शुल्क 17,600 रुपए जमा किए थे। उसने 9 अक्तूबर, 2015 को परीक्षा शुल्क 1500 रुपए भी जमा किया। इसके बाद भी संस्थान ने उसे प्रवेश पत्र जारी नहीं किया और परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी। उसके अन्य दोस्त परीक्षा देकर अच्छी जगह नौकरी कर रहे हैं जबकि वह पढ़ाई से ही वंचित हो गया। बचाव में यूनिवर्सिटी ने कहा कि प्रवेश लेटरल एंट्री के माध्यम से लिया गया था। जांच में पाया गया कि पी.पी.डी.पी.एम. या डी.एम.एम. योग्यता पहले लेनी होगी। वह सीधे एम.बी.ए. अंतिम वर्ष की पात्रता नहीं रखता। इसकी सूचना उसे समय रहते दे दी गई थी लेकिन आवेदक प्रवेश देने का दबाव बनाता रहा और उसने कोर्ट में केस करने की भी धमकी दी थी।

यह कहा फोरम ने
जिला उपभोक्ता फोरम ने डा. सी.वी. रमन यूनिवर्सिटी और के.आई. जावेद समन्वयक नेहरू नगर भिलाई को दोषी ठहराया है। फोरम की अध्यक्ष मैत्रेयी माथुर, सदस्य राजेंद्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने फैसले में दोनों पर 5.05 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। इसमें परीक्षा से वंचित कर साल खराब करने के लिए 3 लाख, मानसिक कष्ट के लिए 2 लाख और वाद व्यय के लिए 5 हजार रुपए शामिल हैं। यह राशि एक माह के भीतर अदा करने का आदेश दिया गया है।

 


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