Air India को बेचने का ये ब्रेकअप प्लान बना रही है सरकार

punjabkesari.in Sunday, Jul 09, 2017 - 03:10 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकारी विमान सेवा एयर इंडिया को भारत सरकार बेचने की तैयारी कर रही है, सरकार एयर इंडिया को बेहतर बनाने के लिए इसे किसी बेहतर कंपनी को बेचने का मन बना चुकी है। काफी लंबे समय से एयर इंडिया घाटे में चल रही है, लिहाजा इसे देखते हुए सरकार यर इंडिया को बेचने के लिए किसी मजबूत और समृद्ध कंपनी की तलाश कर रही है। सरकार एयर इंडिया के विनिवेश की दिशा में काम तेज कर दिया है तथा यह प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष में ही पूरी होने की उम्मीद है।

घाटे का सौदा रही है एयर इंडिया 
पिछले ही महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक में एयर इंडिया को बेचने के लिए हरी झंडी दी थी, सरकार एयर इंडिया को बेचने की कोशिश करे। पिछली कई सरकारों ने एयर इंडिया को कर्ज से बाहर निकालने के लिए करोड़ो रुपए खर्च किए, बावजूद इसके एयर इंडिया सरकार के लिए घाटे का ही सौदा बनी हुई है।
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कर्मचारी कर रह हैं बेचे जाने का विरोध 
मौजूदा समय मे एयर इंडिया में की लेबर यूनियन जिसे कुल 2500 कर्मचारी हैं, जबकि 40 हजार कर्मचारियों हैं, इन सभी लोगों ने एयर इंडिया को बेचने का विरोध किया है, इन लोगों ने भाजपा और मोदी सरकार के समर्थन के बावजूद कंपनी को बेचने का विरोध किया है।
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अरुण जेटली को बनाया गया अध्यक्ष
एयर इंडिया को बेचने के लिए पांच मंत्रियों की एक कमेटी बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता अरुण जेटली कर रहे हैं। माना जा रहा है कि वह एयर इंडिया को बेचने के लिए टाटा कंपनी के पास जा सकते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि भारत सरकार चाहती है कि एयर इंडिया भारतीय कंपनी के हाथ में रहे, इसके लिए दो कंपनियों पर सरकार को उम्मीद है कि वह इसे खरीद सकती हैं, जिसमें टाटा और इंडिगो अहम हैं, इन दोनों ही कंपनियों ने अपनी रूचि भी इसमे दिखाई है।

इंडिगो ने भी एयर इंडिया को खरीदने की इच्छा जाहिर की
वहीं गुरुवार को इंडिगो ने भी एयर इंडिया को खरीदने की इच्छा जाहिर की है। मोदी सरकार ने तमाम अधिकारियों को इस बात का निर्देश दिया है कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि एयर इंडिया बेहतर हाथ में जाए और उसे बेहतर दाम मिले। सरकार एक और विकल्प भी खोले रखना चाहती है कि इसे दो कंपनियों में बेचा जाए। अगर जरूरत पड़े तो एयर इंडिया को दो कंपनियों में बांटा जाए। उड्डयन विशेषज्ञ अंशुमान देब का कहना है कि एयर इंडिया को दो हिस्से में बेचने से ज्यादा फायदा होगा। वहीं उड्डयन विभाग के अधिकारी का कहना है कि एक बात साफ है कि किसी एक कंपनी के लिए एयर इंडिया को खरीदना आसान नहीं है।


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