अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय, वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी शेयर बाजार की दिशा
punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2024 - 11:51 AM (IST)
नई दिल्लीः स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दर निर्णय से तय होगी। इसके साथ ही वैश्विक आर्थिक आंकड़े और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां भी बाजार की दिशा निर्धारित करेंगी, ऐसा विश्लेषकों का मानना है। भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछले सप्ताह महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि बृहस्पतिवार को निफ्टी और सेंसेक्स दोनों अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गए। बीएसई के 30 शेयरों वाला सेंसेक्स पहली बार 83,000 अंक को पार किया।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, “इस सप्ताह का सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक होगी, जो 18 सितंबर को होगी। इसमें ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना है, हालांकि कुछ बाजार भागीदार आधा प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। यह कदम वैश्विक बाजारों के लिए सकारात्मक संकेतक हो सकता है, विशेषकर उभरते बाजारों जैसे भारत के लिए। इससे डॉलर कमजोर होगा और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में कमी आएगी, जिससे भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई का प्रवाह बढ़ेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि जापान के मुद्रास्फीति आंकड़े और बैंक ऑफ जापान (बीओजे) की मौद्रिक नीति की घोषणा भी महत्वपूर्ण रहेगी। विदेशी संस्थागत निवेशकों का प्रवाह, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और कच्चे तेल की कीमतें भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज लि. की निदेशक पल्का अरोड़ा चोपड़ा ने कहा, “बाजार की दिशा प्रमुख घरेलू और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों से तय होगी, जैसे कि भारत की थोक मुद्रास्फीति, अमेरिका का औद्योगिक उत्पादन, अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर निर्णय और अमेरिका के बेरोजगारी दावों के आंकड़े।”
बीते सप्ताह, बीएसई का सेंसेक्स 1,707.01 अंक (2.10 प्रतिशत) और निफ्टी 504.35 अंक (2.02 प्रतिशत) बढ़ा। रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा, “यह सप्ताह महत्वपूर्ण है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक का ब्याज दर निर्णय 18 सितंबर को होगा। घरेलू स्तर पर, बाजार भागीदारों की नजर थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों और विदेशी कोषों के प्रवाह पर होगी।”
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने बताया, “पिछले सप्ताह एफआईआई ने लगातार लिवाली की। दो प्रमुख कारण हैं कि एफआईआई ने अपनी रणनीति को बदल दिया है: एक, अमेरिका में दरों में कटौती की संभावना और दूसरा, भारतीय बाजार की मजबूती।”