2020 के बाद सबसे बड़ा ऑयल क्रैश! 2025 में 20% टूटा क्रूड, 4 जनवरी को होगा बड़ा फैसला
punjabkesari.in Wednesday, Dec 31, 2025 - 06:14 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः कच्चे तेल की कीमतें 2025 में बड़ी गिरावट के साथ बंद होने जा रही हैं। यह गिरावट 2020 के बाद की सबसे बड़ी वार्षिक कमजोरी मानी जा रही है। ग्लोबल मार्केट में सप्लाई बढ़ने और मांग कमजोर रहने से तेल बाजार पर दबाव बना हुआ है। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 58 डॉलर प्रति बैरल से नीचे फिसल गया है और साल भर में इसमें करीब 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं ब्रेंट क्रूड मार्च डिलीवरी के लिए 61 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बंद हुआ है।
सप्लाई ज्यादा, डिमांड सुस्त—यही गिरावट की बड़ी वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक वैश्विक आर्थिक सुस्ती के चलते तेल की मांग उम्मीद से कमजोर रही, जबकि OPEC+ देशों और अन्य उत्पादकों ने सप्लाई में कटौती नहीं की। OPEC का अनुमान है कि अगले साल बाजार में हल्का सरप्लस बना रह सकता है, जबकि इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) बड़े ओवरसप्लाई यानी ग्लट की चेतावनी दे रही है।
4 जनवरी को OPEC+ की अहम बैठक, बाजार की नजर फैसले पर
तेल बाजार की नजर अब 4 जनवरी को होने वाली OPEC+ की वर्चुअल बैठक पर टिकी है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ सदस्य देश अतिरिक्त उत्पादन बढ़ाने की योजना को फिलहाल टाल सकते हैं, ताकि बाजार में बढ़ते सरप्लस को रोका जा सके। इस बैठक का फैसला आने वाले महीनों में कच्चे तेल की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
अमेरिका में तेल भंडार बढ़ा, कीमतों पर और दबाव
अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट (API) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते अमेरिकी कच्चे तेल के भंडार में 1.7 मिलियन बैरल की बढ़ोतरी हुई है, जो नवंबर के बाद सबसे बड़ी बढ़त मानी जा रही है। डीजल और पेट्रोल के स्टॉक में भी इजाफा दर्ज किया गया है, जिससे कीमतों पर और दबाव बढ़ गया।
वेनेजुएला फैक्टर से भी बढ़ी अनिश्चितता
इधर वेनेजुएला को लेकर भी बाजार में हलचल तेज है। अमेरिका वेनेजुएला के कच्चे तेल पर लगाई गई आंशिक रोक की सख्ती से निगरानी कर रहा है। इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान में वेनेजुएला से जुड़ी कथित अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई का संकेत दिया है, जिससे भविष्य में वहां के तेल निर्यात पर दबाव बढ़ सकता है।
अब पूरी दुनिया की नजर 4 जनवरी 2025 को होने वाली OPEC+ बैठक पर टिकी है, जहां उत्पादन को लेकर लिया गया फैसला तय करेगा कि कच्चे तेल की कीमतें और फिसलेंगी या यहां से संभलने की कोशिश करेंगी।
