टैक्सपेयर्स की चाहतों का बोझ नहीं उठा सकता सरकारी खजाना

punjabkesari.in Tuesday, Jan 29, 2019 - 01:04 PM (IST)

नई दिल्लीः टैक्सपेयर्स बजट में बड़ी टैक्स छूट चाहते हैं लेकिन सरकार इसका बोझ उठाने की हालत में नहीं है। पिछले साढ़े चार साल में सरकारी खजाने की हालत खराब हुई है। केंद्र पर कुल कर्ज 49% बढ़कर 82 लाख, 3 हजार, 253 करोड़ रुपए हो गया है। टैक्स इंसेंटिव के चलते सरकार की आमदनी भी उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है। बजट अनुमान के मुताबिक, टॉप 10 टैक्स इंसेंटिव से सरकार को 75 हजार, 252 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस होगा। 

कई टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट लिमिट में 50 हजार रुपए की बढ़ोतरी की जाए। इससे 30% टैक्स स्लैब यानी सालाना 10 लाख से अधिक आमदनी वाले लोग 15 हजार रुपए बचा पाएंगे। आइए देखते हैं कि इसका सरकारी खजाने पर क्या असर होगा। अगर 1 करोड़ लोग भी यह टैक्स छूट लेते हैं तो 50 हजार करोड़ रुपए टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे 15 हजार करोड़ का रेवेन्यू लॉस होगा। 5 साल पहले 2013-14 में सेक्शन 80C की डिडक्शन के चलते 25,491 करोड़ का रेवेन्यू लॉस हुआ था, जो 2014 में लिमिट 50 हजार रुपए बढ़ाए जाने के बाद से इसमें बढ़ोतरी हुई। इस साल इस वजह से रेवेन्यू लॉस 58 हजार, 933 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है, जो पांच साल में 130 फीसदी की बढ़ोतरी है। 

2016 में सरकार ने टैक्स सेविंग लिमिट में 50 हजार रुपए की बढ़ोतरी की थी। उस साल 80CCD (1B) के तहत एनपीएस कंट्रीब्यूशंस पर टैक्स छूट दी गई थी। इसलिए ओवरऑल सेविंग लिमिट अभी 2 लाख रुपए है। जनरल टैक्सपेयर्स के लिए बेसिक टैक्स छूट को बढ़ाकर 3 लाख रुपए करने की भी मांग हो रही है। अगर ऐसा हुआ तो सीनियर सिटिजन के लिए भी लिमिट को बढ़ाकर कम से कम 3.5 लाख करना होगा। एक तरह से 2.7 करोड़ लोगों के लिए पहले ही बेसिक टैक्स एग्जेम्पशन लिमिट 3 लाख रुपए है। 

दरअसल, 3.5 लाख सालाना आमदनी वाले लोगों को सेक्शन 87A के तहत 2,500 रुपए की छूट मिलती है। रिटर्न फाइल करने वाले 5.7 करोड़ लोगों में से 1.5 करोड़ की आमदनी 3.5 लाख रुपए से अधिक है। अगर उनके लिए टैक्स छूट लिमिट में 50 हजार रुपए की बढ़ोतरी की जाती है तो 75 हजार करोड़ रुपए टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे केंद्र को 3,750 करोड़ का रेवेन्यू लॉस होगा। सीनियर सिटिजन की लिमिट बढ़ाए जाने और दूसरी वजहों से और 4,500 करोड़ का रेवेन्यू लॉस हो सकता है। 

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिविडेंड पर टैक्स बंद होना चाहिए। उनका कहना है कि कंपनियां भी इस पर टैक्स चुकाती हैं। इसलिए टैक्सपेयर से डिविडेंड पर टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए। 2016-17 में डिविडेंड से सरकार को 43,410 करोड़ का टैक्स मिला था। इसमें से 41,417 करोड़ कंपनी डिविडेंड और सिर्फ 1,993 करोड़ म्यूचुअल फंड डिविडेंड से आए थे। इस साल म्यूचुअल फंड डिविडेंड से अधिक टैक्स मिलने की उम्मीद है। 
 


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jyoti choudhary

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